श्योपुर । मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में खुले जंगल में छोड़े गए दो चीतों में एक चीता "अग्नि" श्योपुर शहर की सड़क पर घूमते नजर आया है। मंगलवार-बुधवार की रात एक वाहन सवार राहगीर ने अपने कैमरे से उसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया है। वहीं, शहर में लगे कई सीसीटीवी कैमरों में भी अग्नि के सड़क पर घुमते हुए कैद हुआ है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो के अनुसार चीता अग्नि मंगलवार-बुधवार की रात शहर की पुलिस लाइन, कलेक्ट्रेट, स्टेडियम परिसर में देखा गया। स्टेडियम में उसने एक मादा डॉग का शिकार किया है। अभी तक चीता की लोकेशन शेयर करने से इंकार कर रहे चीता प्रबंधन ने भी पुष्ट किया है कि चीता जंगल से काफी दूर घूम रहा है।
पिछले चार दिन पहले कूनो नेशनल पार्क से निकलकर शहरी इलाके के पास पहुंचे चीते का शहर की सड़कों पर दौड़ते हुए 6 मिनट का वीडियो सामने आया है। मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात वह शहर के वीर सावरकर स्टेडियम के पास देखा गया। यहां चीते ने एक मादा डॉग का शिकार किया। चीता स्टेडियम, कलेक्ट्रेट और ईको सेंटर होते हुए बावंदा नाले तक पहुंचा है। रात एक बजे का शिवपुरी रोड पर स्थित जैन रेस्टोरेंट व गोयल फोटो कॉपी की दुकान पर लगे सीसीटीवी कैमरे में उसके दौड़ते हुए फुटेज आए हैं। यह चीता अमराल नदी किनारे होते हुए स्टेडियम में घुसा था।
कूनो की तरफ जंगल में चला गया
कलेक्ट्रेट से आगे से निकलकर कूनो की तरफ जंगल में चला गया है। अधिकारियों के मुताबिक अभी वह गोरस कलमी के बीच भीमलत गांव के पास है। कूनो नेशनल पार्क की चीता ट्रैकिंग टीम इस चीते को ट्रैक कर रही है। इस इलाके से सामान्य और कूनो वन मंडल का बफर जोन का जंगल लगा हुआ है। क्रशर बस्ती में रहने वाले युसूफ खान ने बताया कि स्टेडियम में दो गाड़ियां भी कुछ दूरी से चीतों की निगरानी कर रहीं थी। लोगों ने जब चीतों का वीडियो बनाया तो मोबाइल लेकर वीडियो डिलीट कर दिया।
कुछ लोगों का कहना है कि चीता डॉग का शिकार कर उसे खींचकर ले गया। वीडियो सामने आने के बाद स्टेडियम में रहने वाले कर्मचारी दहशत में हैं, हालाकि कूनो प्रबंधन व चीता मित्रों ने पहले भी लोगों को समझा रखा है कि चीते किसी पर हमला नहीं करते, इसलिए डरें नहीं केवल सचेत रहें।
नेशनल पार्क के डीएफओ आर थिरूकुरालका कहना है कि दूसरे चीता वायु की लोकेशन मुरैना की ओर है। चीता की निगरानी के लिए उनकी टीमें तैनात है जो 24 घंटे उसे पर निगरानी रखते हैं। टीम में तीन-तीन लोगों की ड्यूटी है, प्रत्येक टीम की ड्यूटी 8 घंटे की है, जरूरत पड़ने पर चीते को ट्रेंकुलाइज के लिए भोपाल स्तर के अधिकारियों के द्वारा निर्णय लिया जाता है।