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नई दिल्ली। कारगिल विजय दिवस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि अगर 1999 में हमने एलओसी पार नहीं किया तो इसका मतलब यह नहीं कि हम सीमा पार नहीं कर सकते थे। हम तब भी एलओसी पार कर सकते थे, हम अभी भी एलओसी पार कर सकते हैं और जरूरत पड़ी तो भविष्य में एलओसी पार करेंगे। रक्षा मंत्री ने कहा कि 26 जुलाई, 1999 को युद्ध जीतने के बाद भी हमारी सेनाओं ने इसलिए एलओसी पार नहीं की क्योंकि हम शांतिप्रिय हैं, भारतीय मूल्यों के प्रति हमारा विश्वास है और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है।
लद्दाख स्थित द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक पर सैन्य परम्परा के साथ हुए इस श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि राष्ट्र का मान-सम्मान और इसकी प्रतिष्ठा हमारे लिए किसी भी चीज से ऊपर है और इसके लिए हम किसी भी हद तक जा सकते हैं। हमने सिर्फ पाकिस्तान को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश दिया है कि जब बात हमारे राष्ट्रीय हितों की आएगी, तो हमारी सेना किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगी। हम आज भी अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं, सामने चाहे कोई भी हो। कारगिल की वह जीत पूरे भारत की जनता की जीत थी। भारतीय सेनाओं ने 1999 में कारगिल की चोटियों पर जो तिरंगा लहराया था, वह केवल एक झंडा भर नहीं था, बल्कि वह इस देश के करोड़ों लोगों का स्वाभिमान था।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत मां के ललाट की रक्षा के लिए 1999 में कारगिल की चोटी पर देश के सैनिकों ने वीरता का जो प्रदर्शन किया, जो शौर्य दिखाया, वह इतिहास में हमेशा स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा। आज हम खुली हवा में सांस इसलिए ले पा रहे हैं, क्योंकि किसी समय शून्य तापमान में भी हमारे सैनिकों ने ऑक्सीजन की कमी के बावजूद अपनी बंदूकें नीची नहीं की। आज दिख रहा भारत रूपी विशाल भवन हमारे वीर सपूतों के बलिदान की नींव पर ही टिका है। भारत नाम का यह विशाल वटवृक्ष उन्हीं वीर जवानों के खून और पसीने से अभिसिंचित है। अपने हजारों सालों के इतिहास में इस देश ने अनेक ठोकरें खाईं हैं, पर अपने वीर जवानों के दम पर यह बार-बार ऊंचा हुआ है।
रक्षा मंत्री ने भारतीय सेनाओं पर गर्व करते हुए कहा कि भारतीय सेना के जवानों के सामने ऐसे खतरे आते रहते हैं, जहां उनका सामना मौत से होता रहता है, लेकिन वह बिना डरे, बिना रुके सिर्फ इसलिए मौत से भिड़ जाते हैं, क्योंकि उन्हें पता होता है कि उसका अस्तित्व उसके राष्ट्र से है। कैप्टन मनोज पांडे के उस उद्घोष को भला कौन भूल सकता है, जब उन्होंने कहा था कि "यदि मेरे फर्ज की राह में मौत भी रोड़ा बनी, तो मैं मौत को भी मार दूंगा।" ऐसी वीरता के सामने तो दुनिया की कोई भी शक्ति नहीं टिक सकती, तो भला पाकिस्तान की क्या बिसात थी। भारत की तरफ चली हर एक गोली को हमारे सैनिकों ने अपनी फौलादी छातियों से रोक दिया। कारगिल युद्ध भारत के सैनिकों की वीरता का प्रतीक है, जिसे सदियों तक दोहराया जाएगा।
उन्होंने राजस्थान के सूबेदार मंगेज सिंह को याद करते हुए कहा कि उन्होंने घायल हालत में ही बंकर के पीछे पाकिस्तानी सैनिकों पर जमकर कई राउंड फायरिंग की और 7 दुश्मनों को ढेर किया। ऐसे ही न जाने कितने ही वीरों ने अपने देश के गौरव को बचाए रखने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। कई ऐसे सैनिक थे, जिनकी कुछ दिनों पहले शादी हुई थी, कई ऐसे सैनिक थे जिनका विवाह भी नहीं हुआ था, कई ऐसे सैनिक थे, जो अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले थे, लेकिन उन्होंने व्यक्तिगत जीवन की उन सारी परिस्थितियों का सामना करते हुए राष्ट्र के अस्तित्व को बचाने का प्रयास किया, क्योंकि उनके मन में यह भावना थी कि- तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन चार रहें न रहें।
MadhyaBharat
26 July 2023
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