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नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को संसद में कहा कि कांग्रेस सहित विपक्ष को केवल गठबंधन के लिए दिल्ली से जुड़े नियुक्ति एवं तबादले संबंधित विधेयक का विरोध नहीं करना चाहिए। उन्हें देखना चाहिए कि दिल्ली और देश का हित किसमें है। उन्होंने कहा कि विधेयक पारित होगा लेकिन जिस दल के लिए इसका विरोध हो रहा है, वो गठबंधन में रहने वाला नहीं है।
लोकसभा में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किया गया। विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि दिल्ली संघ शासित राज्य है और संसद को विधेयक लाने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में भी इसकी पुष्टि की है।
शाह ने दिल्ली का इतिहास सामने रखते हुए कहा कि केन्द्र और राज्यों में पहले भी विरोधी सरकारें रही हैं लेकिन कभी गतिरोध पैदा नहीं हुआ है। इसकी शुरुआत 2015 से हुई । दिल्ली में जिस दल की सरकार है, उसका मकसद सेवा करना नहीं है बल्कि झगड़ा करना है।
शाह ने विधेयक के विरोध को राजनीतिक बताया और कहा कि मामला केवल नियुक्ति एवं तबादले से जुड़ा नहीं है। असल में मुख्यमंत्री आवास के निर्माण में हुई धांधली को छिपाने के लिए विजिलेंस को कब्जे में लेने से जुड़ा है।
गृहमंत्री ने कहा कि विधेयक का संयुक्त रूप से विरोध केवल गठबंधन बनाने के लिए हो रहा है जबकि किसी विधेयक का विरोध दिल्ली और देश के हित को देखते हुए होना चाहिए। उन्होंने कहा कि गठबंधन बना भले ही लें लेकिन नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी।
चर्चा के दौरान गृहमंत्री ने पंडित जवाहर लाल नेहरू और डॉ अम्बेडकर का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद पट्टाभि सीतारमैया समिति ने दिल्ली को राज्य स्तर का दर्जा देने की सिफारिश की थी। हालांकि जब यह सिफारिश संविधान सभा के समक्ष आई तो पं. जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, राजाजी, राजेन्द्र प्रसाद और डॉ. अंबेडकर जैसे नेताओं ने इसका विरोध किया था।
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