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शिमला। बहुचर्चित छात्रवृति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए शिमला और मंडी सहित राज्य के अन्य क्षेत्रों के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के परिसरों में छापेमारे हैं।
दरअसल, कई शैक्षणिक संस्थानों ने अयोग्य उम्मीदवारों के नाम गैरकानूनी तरीके से छात्रवृति का लाभ उठाया है। छात्रवृति मामले में सीबीआई भी शैक्षणिक संस्थानों पर छापे मार चुकी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को छात्रवृत्ति घोटाले के सिलसिले में हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के बल्ह क्षेत्र में एक इंजीनियरिंग कॉलेज पर छापा मारा।
जानकारी के मुताबिक, विभिन्न संस्थानों द्वारा पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति का कथित तौर पर फर्जी लाभ उठाने वाले घोटाले के सिलसिले में देश भर के कई संस्थानों पर छापेमारी की जा रही है। मंडी में प्रशासन के शीर्ष सूत्रों ने टीआर अभिलाषी मेमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी पर छापे की पुष्टि की। यह हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय, हमीरपुर से संबद्ध है। सूत्रों ने कहा कि ईडी की एक टीम ने सुबह कॉलेज परिसर में धावा बोला और उसके रिकॉर्ड खंगालने शुरू कर दिए।।
इस सिलसिले में ईडी पहले ही दिल्ली, यूपी, हरियाणा और राजस्थान में कई शैक्षणिक संस्थानों पर छापेमारी कर चुकी है। पहले की जांच में यह 300 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। केंद्र और राज्यों द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, विकलांग श्रेणियों और अल्पसंख्यक और समाज के कमजोर वर्गों के छात्रों की शिक्षा की सुविधा के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।
बता दें कि छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई ने लंबी जांच और करीब 26 से ज्यादा शिक्षण संस्थानों का रिकॉर्ड चेक करने के बाद बीते वर्ष सात लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें प्रदेश शिक्षा विभाग के अधीक्षक सहित अन्य आरोपी शामिल हैं। इन सभी की संलिप्तता जांच के दौरान मिली है। यानी शिक्षा विभाग से लेकर बैंक और निजी शिक्षण संस्थान सारे फ्रॉड के नेटवर्क का हिस्सा थे। चौंकाने वाली बात यह है कि छात्रवृत्ति घोटाला देश के कई राज्यों में फैला हुआ है। इसके अलावा कई राष्ट्रीयकृत बैंक भी इसमें शामिल हैं। शिक्षा विभाग द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि कई निजी शिक्षण संस्थानों ने फर्जी एडमिशन दिखाकर सरकारी धनराशि का गबन किया है।
दरअसल, साल 2013-14 से लेकर 2016-17 तक किसी भी स्तर पर छात्रवृत्ति योजनाओं की मॉनिटरिंग नहीं हुई। जांच रिपोर्ट के अनुसार 80 फीसदी छात्रवृत्ति का बजट सिर्फ निजी संस्थानों में बांटा गया जबकि सरकारी संस्थानों को छात्रवृत्ति के बजट का मात्र 20 फीसदी हिस्सा मिला। हिमाचल की पूर्व भाजपा सरकार बनने के बाद पूर्व शिक्षा सचिव डॉ. अरुण शर्मा ने इसे पकड़ा और राज्य सरकार ने सीबीआई को जांच सौंपी।
MadhyaBharat
29 August 2023
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