Since: 23-09-2009
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार को अपनी छोटी लेकिन प्रभावी यात्रा के बाद इंडोनेशिया से स्वदेश रवाना हो गए। इस दौरान प्रधानमंत्री ने डिली, तिमोर-लेस्ते में एक भारतीय दूतावास स्थापित करने के निर्णय की घोषणा की। यह निर्णय आसियान को भारत द्वारा दिए जाने वाले महत्व और तिमोर लेस्ते के साथ उसके संबंधों का प्रतिबिंब है। इस निर्णय का तिमोर लेस्ते और आसियान सदस्यों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। तिमोर लेस्ते इसका पूर्ण सदस्य बनने से पहले 2022 में एक पर्यवेक्षक के रूप में आसियान में शामिल हुआ।
प्रधानमंत्री ने 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में कहा कि म्यांमार में भारत की नीति आसियान के पक्ष को ध्यान में रखती है। साथ ही एक पड़ोसी देश के तौर पर सीमाओं पर शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना और भारत- आसियान कनेक्टिविटी को बढ़ाना भी हमारा फ़ोकस है।
उन्होंने कहा कि इंडो-पैसिफिक में शांति, सुरक्षा और समृद्धि में ही हम सबका हित है। आज जरूरत है कि एक ऐसा इंडो-पैसिफिक रहे, जहां संयुक्त राष्ट्र के समुद्री कानूनों सहित अंतरराष्ट्रीय कानून सभी देशों के लिए समान रूप से लागू हों। जहां आवाजाही और उड़ान की स्वतंत्रता हो और जहां सभी के फ़ायदे के लिए अबाधित वैध वाणिज्य हो। भारत का मानना है कि दक्षिण चीन सागर के लिए आचार संहिता प्रभावकारी हो और संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानूनों के अनुरूप हो। इसमें उन देशों के हितों का भी ध्यान रखा जाए, जो चर्चाओं का हिस्सा नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य कठिन परिस्थितियों और अनिश्चितताओं से घिरा हुआ है । आतंकवाद, उग्रवाद, और भू-राजनीतिक संघर्ष हम सभी के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। इनका सामना करने के लिए बहुपक्षीय और नियम आधारित विश्व व्यवस्था अहम हैं। अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पूरी तरह पालन होना आवश्यक है और सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को सुदृढ़ करने के लिए सबकी प्रतिबद्धता और साझा प्रयास भी आवश्यक हैं। जैसा मैंने पहले भी कहा है – आज का युग युद्ध का नहीं है बल्कि संवाद और कूटनीति ही समाधान का रास्ता है।
MadhyaBharat
7 September 2023
All Rights Reserved ©2024 MadhyaBharat News.
Created By: Medha Innovation & Development
|