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नई दिल्ली। बिलकिस बानो केस के दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम छूट की नीति पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, बल्कि केवल इन लोगों को दी गई छूट पर सवाल उठा रहे हैं। जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर को करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि आजीवन कारावास की सजा पाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सुधार का मौका भी दिया जाता है, तो अपराध जघन्य होने के आधार पर सुधार को बंद नहीं किया जा सकता है। तब कोर्ट ने कहा कि हम छूट की नीति पर सवाल नहीं उठा रहे हैं बल्कि केवल इन लोगों को दी गई छूट पर सवाल उठा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि हम दूसरे सवाल पर हैं कि छूट देना सही है या नहीं। हम छूट की अवधारणा जो सर्वमान्य है, उसको समझते हैं लेकिन यहां हमारा सवाल सजा की मात्रा पर नहीं हैं। हम पहली बार छूट के मामले से नहीं निपट रहे हैं। तब लूथरा ने कहा कि 15 साल की हिरासत का जीवन पूरी तरह से कटा हुआ जीवन है।
सुनवाई के दौरान वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि राज्य से रिपोर्ट तलब की जानी चाहिए, क्योंकि नोटिस की तामील के समय हमें बताया गया था कि उन्हें दोषी के ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसलिए इसे सत्यापित करने की आवश्यकता है। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में माफी को दो बार खारिज किया जा चुका है। लूथरा ने कहा कि हां ऐसा इसलिए था, क्योंकि सही रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किए गए थे, जिसकी वजह से उसे खारिज किया गया था।
इससे पहले कोर्ट ने 31 अगस्त को दोषियों से उनकी अंतरिम अर्जी पर फैसले का इंतजार किए बिना जुर्माना करने पर सवाल उठाया था, खासकर तब जब याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई चल रही है। सुनवाई के दौरान सिद्धार्थ लूथरा ने कहा था कि दोषियों ने मुंबई में ट्रायल कोर्ट से संपर्क किया है और उन पर लगाया गया जुर्माना जमा कर दिया है।
दिसंबर, 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई से जुड़े मामले में दायर बिलकिस की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका में मांग की गई थी कि 13 मई, 2022 के आदेश पर दोबारा विचार किया जाए। 13 मई, 2022 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गैंगरेप के दोषियों की रिहाई में 1992 में बने नियम लागू होंगे। इसी आधार पर 11 दोषियों की रिहाई हुई है।
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