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रतलाम। माणकचौक स्थित महालक्ष्मीजी का मंदिर वर्षों से काफी चर्चाओं में है,क्योंकि यहां पर चढ़ावे के रुप में लाखों रुपया लोग शकुन के रुप में रखते है। जेवरात,सोना,चांदी भी रखने की यहां परम्परा है। इसलिए यह मंदिर दीपावली के दिनों में काफी लोकप्रिय व चर्चाओं में रहता है। दीपावली के दिनों में जेवरात और नगद मंदिर मंदिर में ही रखे रहते है जिसकी बकायदा पुजारी रसीद देता है जिसे बाद में वापस कर दिये जाते है।
महालक्ष्मी के इस मंदिर में प्रतिमा आकर्षक व भव्य है। यह गज लक्ष्मी की प्रतिमा है जो 17-18 वीं शताब्दी की है। नीचे दोनों ओर हाथी दर्शाए गए है उपर मध्य में लक्ष्मीजी की प्रतिमा है। लक्ष्मीजी के एक हाथ में कमल पुष्प व दूसरे में घट है। दोनों ओर एक-एक हाथी उनका अभिषेक कर रहे है। यह मंदिर श्रीमाली ब्राह्मणों का पंचायती मंदिर है।
दीपावली के पांच दिनों तक यहां पर उत्सव और धार्मिक आयोजन होते है। दूर से दूर लोग यहां पर दर्शनार्थ पहुंचते है और स्थानीय लोगों का तांता तो लगा ही रहता है। लोग मां लक्ष्मी के दर्शन करके अपने आप को भाग्यशाली समझते है। यह मंदिर वर्तमान में शासनाधीन है। इस कारण इन दिनों सुरक्षा के व्यापक प्रबंध भी रहते है।
इस मंदिर में कोई ऐसी शक्ति विद्यमान है जो यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना को पूर्ण होती है। रतलाम में निवास कर रहे बड़े बुजुर्गों की माने तो देवी लक्ष्मी साक्षात रुप में इस मंदिर में विराजमान है। व्यापारी वर्ग की माने तो मां लक्ष्मी के आशीर्वाद से ही रतलाम का व्यापार फल-फुल रहा है। इस मंदिर में धन-दौलत की साज-सज्जा लोग को आकर्षित किए हुए रहती है। दीपावली के दिन तो देर रात तक लोग कतार लगाते है ताकि वे मां लक्ष्मी के दर्शन कर सके। महिलाओं की उपस्थिति भी उल्लेखनीय रहती है।
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