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नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों का सर्वे पूरा करने के लिए केंद्र सरकार को समय दे दिया है। आज केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि 123 में से अब तक 75 संपत्तियों का सर्वे किया जा चुका है, जबकि बाकी संपत्तियों का सर्वे करने में अभी दो से तीन महीने का समय और लगेगा। मामले की अगली सुनवाई अप्रैल, 2024 में होगी।
आज सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि 75 संपत्तियों में से लैंड एंड डेवलपमेंट आफिस ने 40 और डीडीए ने 35 संपत्तियों का सर्वे किया है। इसके पहले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से उसकी 123 संपत्तियों पर केंद्र के कब्जे संबंधी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका का विरोध किया था। हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड इन संपत्तियों का मालिक नहीं हो सकता बल्कि संरक्षक हो सकता है।
केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड वक्फ की संपत्तियों के परीक्षण का विरोध नहीं कर सकती है, बल्कि उन संपत्तियों की स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए। केंद्र सरकार ने कहा है कि केवल इस वजह से कि इन संपत्तियों को कुछ लोगों को लीज पर दी गई है, उन्हें वक्फ की संपत्ति नहीं कहा जा सकता है। हलफनामे में कहा गया है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड की स्थापना वक्फ कानून के तहत हुई है।
सात मार्च को कोर्ट ने केंद्र सरकार के आदेश पर यथास्थिति बहाल करने का आदेश देने से इनकार कर दिया था। वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वकील राहुल मेहरा ने कहा था कि केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने के लिए काफी तुच्छ वजह बताई है कि वक्फ बोर्ड का इन संपत्तियों में कोई रुचि नहीं है। इन संपत्तियों की कम से कम पांच बार पड़ताल हो चुकी है और हर बार ये पता चला कि वे वक्फ की हैं। अंतिम पड़ताल केंद्र सरकार की ओर से नियुक्त एक सदस्यीय कमेटी ने की थी।
केंद्र ने इन संपत्तियों का कब्जा लेने का फैसला लिया है, जिसका वक्फ बोर्ड विरोध कर रहा है। दिल्ली वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर केंद्र की ओर से 8 फरवरी को जारी उस पत्र को चुनौती दी है, जिसमें दिल्ली वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को कब्जे में लेने की बात कही गई है। दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा कि केंद्र सरकार को वक्फ बोर्ड की संपत्ति अपने कब्जे में लेने का अधिकार नहीं है। वक्फ बोर्ड की ये संपत्तियां 1970, 1974, 1976 और 1984 के सर्वे में सीमांकित की गई थीं और राष्ट्रपति ने भी उस पर सहमति दी थी।
MadhyaBharat
17 November 2023
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