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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर ईडी को नोटिस जारी किया है। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने 28 अप्रैल को अगली सुनवाई का आदेश दिया।
केजरीवाल ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने 9 अप्रैल को अरविंद केजरीवाल की याचिका खारिज कर दी थी। जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका खारिज करने का आदेश दिया था।
केजरीवाल की याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि ये जमानत याचिका नहीं है, बल्कि गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने कहा कि जब भी किसी आरोपित को सरकारी गवाह बनाया जाता है तो वे न्यायिक अधिकारी का काम होता है न कि जांच एजेंसी ईडी का। हाई कोर्ट ने कहा था कि किसने किस पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए पैसा दिया ये कोर्ट को तय नहीं करना है। इलेक्टोरल बांड के रूप में किसने किस पार्टी को पैसा दिया ये कोर्ट को विचार नहीं करना है। केजरीवाल चाहें तो गवाहों का क्रॉस-एग्जामिनेशन कर सकते हैं। ये ट्रायल का मामला है और ये हाई कोर्ट का मामला नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा था कि जांच एजेंसी किसी की भी जांच कर सकती है। कोर्ट ने अमानतुल्लाह खान के फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि पब्लिक फिगर को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए।
हाई कोर्ट ने कहा था कि मार्च महीने से ही केजरीवाल समन को नजरअंदाज कर रहे हैं। ऐसे में ये नहीं कहा जा सकता है कि चुनाव को ध्यान में रख कर गिरफ्तारी की गई है। कोर्ट ने कहा कि अदालत कानून से बंधे हैं न कि राजनीति से। जज संविधान से बंधे होते हैं। न्यायपालिका का काम कानून की व्याख्या करना है और इसमें वो किसी का पक्ष नहीं लेती है, वो राजनीति में नहीं पड़ती है। राजनीतिक हस्तियों के मामलों में कोर्ट को केवल कानून को देखना है और उसके लिए राजनीति जरूरी नहीं है।
हाई कोर्ट की चिंता संवैधानिक नैतिकता है राजनीतिक नैतिकता से नहीं। इस मामले में भी कोर्ट ने कानूनी तथ्यों पर ही विचार किया। हाई कोर्ट ने कहा था कि 2020 में गोवा विधानसभा के चुनाव में हवाला डीलर के बयान बताते हैं कि उस चुनाव में पैसे का इस्तेमाल हुआ। कोर्ट ने एनडी गुप्ता के बयान का जिक्र किया।
केजरीवाल फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। 1 अप्रैल को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने केजरीवाल को 15 अप्रैल तक की न्यायिक हिरासत में भेजा था।
MadhyaBharat
15 April 2024
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