Since: 23-09-2009
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दवाओं के भ्रामक विज्ञापन के मामले पर सुनवाई करते हुए बाबा रामदेव और बालकृष्ण की तरफ से प्रकाशित माफीनामा की भाषा पर संतोष जताया है लेकिन उनके वकीलों की तरफ से अखबार का पूरा पन्ना रिकॉर्ड पर न रखने पर नाराजगी जताई। जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने अखबार का पूरा पन्ना दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी। मामले की अगली सुनवाई 14 मई को होगी।
पतंजलि के वकील मुकुल रोहतगी ने बताया कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने इंटरव्यू देकर पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एलोपैथी डॉक्टरों के बारे में की गई टिप्पणी की आलोचना की है। जजों ने इसे रिकॉर्ड पर रखने को कहा। उन्होंने कहा कि वह इस विषय को सख्ती से देखेंगे। सुनवाई के दौरान उत्तराखंड औषधि विभाग के लाइसेंस प्राधिकरण ने सूचित किया कि उसने पंतजलि के 14 प्रोडक्टस के लाइसेंस तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड आयुष विभाग के लाइसेंसिंग ऑथोरिटी के हलफनामे पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा की इस तरह का ढीला रवैया उचित नहीं है। आपको हलफनामा दाखिल करते वक्त चीजों का ध्यान रखना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि हम आपका हलफनामा अस्वीकार करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल को पतंजलि को विज्ञापन का साइज बड़ा करने और माफीनामे को हाइलाइट करने के लिए कहा, ताकि लोगों को समझ में आए। सुनवाई के दौरान पतंजलि के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि हमने 67 अखबारों में माफीनामा दिया है। तब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या माफीनामा उतने ही साइज का है, जितना बड़ा आप विज्ञापन देते हैं।
आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई का दायरा बड़ा करते हुए कहा कि मामला सिर्फ एक संस्था (पतंजलि) तक सीमित नहीं रखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि भ्रामक विज्ञापन के जरिए उत्पाद बेच कर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाली बाकी कंपनियों के खिलाफ उसने क्या कार्रवाई की है। कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से पूछा कि एलोपैथी डॉक्टर खास ब्रांड की महंगी दवाइयां अपने पर्चे में क्यों लिखते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल मेडिकल कमीशन से पूछा कि क्या जानबूझकर महंगी दवा लिखने वाले डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट ने हर राज्य की दवा लाइसेंसिंग ऑथोरिटी को भी मामले में पक्षकार बनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल को भी माफीनामा अस्वीकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 2 अप्रैल को आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव के माफीनामा को अस्वीकार कर दिया था। जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि आपकी ओर से आश्वासन दिया गया और उसके बाद उल्लंघन किया गया। यह देश की सबसे बड़ी अदालत की तौहीन है और अब आप माफी मांग रहे हैं। यह हमें स्वीकार नहीं है। आप बेहतर हलफनामा दाखिल करें।
MadhyaBharat
30 April 2024
All Rights Reserved ©2024 MadhyaBharat News.
Created By: Medha Innovation & Development
|