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कांग्रेस आउट सोर्स प्रकोष्ट का सरकार के खिलाफ हल्लाबोल आंदोलन
bhopal, Hallabol movement , Congress

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि स्कूल शिक्षा, जनजातीय विभाग के तहत ग्राम पंचायतों के चौकीदार, भृत्य, पंप आपरेटर, स्कूलों, छात्रावासों के अंशकालीनकर्मी, योग प्रशिक्षक, मोबिलाईजर सहित प्रदेश के लाखों अल्पवेतनभोगी कर्मचारी सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के चलते न्यूनतम वेतन के दायरे से बाहर हैं जो न्यूनतम वेतन 2 हजार से 5 हजार रुपये में 15 से 20 साल से नौकरी कर रहे हैं। उक्त संबंध में न्यूनतम वेतन सलाहकार परिषद के श्रमायुक्त भोपाल की अनुशंसानुसार प्रदेश के समस्त कलेक्टरों को पत्र लिखकर निराकरण करने की मांग भी की गई, लेकिन सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई।

 

 

जीतू पटवारी ने शनिवार को बयान जारी कर कहा कि प्रदेश में विगत 15-20 साल से चतुर्थ श्रेणी के पदों पर सरकार द्वारा भर्ती नहीं की गई है। सभी विभागों में चतुर्थ श्रेणी के लाखों पद रिक्त हैं, इन पदों पर अंशकालीन, अस्थाई, आउटसोर्स, ठेका कर्मचारी काम करते हैं। ये कर्मचारी गरीब, मजदूर एवं कमजोर परिवारों से आते हैं, इन कर्मचारियों को सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन भी नहीं मिलता, जिस कारण वे आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में अक्टूबर 2014 में लागू की गईं पुनरीक्षित न्यूनतम मजदूरी दरों का पुनः पुनरीक्षण पांच वर्ष के अंदर अक्टूबर 2019 तक किया जाना अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत अनिवार्य था, लेकिन यह बहु प्रतीक्षित पुनरीक्षित न्यूनतम मजदूरी दरें दस वर्ष में 1 अप्रैल 2024 से राज्य सरकार लागू की गईं जिसके तहत अकुशलक को 11हजार 800 रुपये, अर्धकुशल को 12हजार 796 कुशल को 14 हजार 519 और उच्च कुशल को 16हजार 144 रुपये मासिक वेतन देने का प्रावधान किया गया है। किंतु प्रदेश के ग्राम पंचायतों के चौकीदार, भृत्य, पंप आपरेटर, स्कूलों, छात्रावासों के अंशकालीनकर्मी, योग प्रशिक्षकों को उक्त वेतन नहीं मिला रहा है, जिससे उनमें व्यापक स्तर पर आक्रोश व्याप्त है।

 

 

जीतू पटवारी ने कहा कि कम वेतन मिलने से पूरे प्रदेश में श्रमिक आक्रोशित होकर नियोजन स्थलों में आंदोलन पर उतर आए है। न्यूनतम वेतन को लेकर कर्मचारियों के हित में याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रदेश में क्षेत्रवार न्यूनतम मजदूरी पुनरीक्षित कर निर्धारित नहीं करने का मुद्दा भी उठाया गया है। लेकिन यह मामला न तो न्यूनतम मजदूरी सलाहकार परिषद के विचार हेतु लाया गया और न ही सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी के संबंध में प्रारंभिक अधिसूचना जारी कर आपत्तियां आमंत्रित करने पर उठाया गया। ऐसे में सरकार द्वारा पुनरीक्षित दरों के संबंध में अंतिम अधिसूचना जारी करने के उपरांत क्षेत्र वार न्यूनतम मजदूरी दरों के निर्धारण का सवाल उठाना न तो व्यावहारिक है और न ही विधिसम्मत है।

 

जीतू पटवारी ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस आउटसोर्स प्रकोष्ठ के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा द्वारा ग्राम पंचायतों के चौकीदार, भृत्य, पंप आपरेटर, स्कूलों, छात्रावासों के अंशकालीनकर्मी, योग प्रशिक्षक, मोबिलाईजर सहित प्रदेश के लाखों अल्पवेतनभोगी कर्मचारी सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के विरोध में 16 जून को प्रदेश स्तरीय धरना-प्रदर्शन राजधानी भोपाल में करेगी।

 

MadhyaBharat 15 June 2024

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