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अवैध मदरसे में फर्श पर सोती मिली बच्चियां
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रतलाम । बगैर मान्यता लिए चल रहे अवैध मदरसे में धार्मिक व स्कूली शिक्षा के नाम पर प्रदेश के कई जिलों से लाई गई बच्चियों को बेहद खराब हालात में रखा जा रहा है। यह गड़बड़ी तब उजागर हुई जब मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने खाचरौद रोड स्थित दारुल उलूम आयशा सिद्धीका लिलबिनात का निरीक्षण किया। रतलाम में लड़कियों के मदरसे के कमरों में मध्यप्रदेश बाल आयोग की टीम को सीसीटीवी कैमरे लगे मिले। इ, मदरसे को मध्यप्रदेश मदरसा बोर्ड की मान्यता भी नहीं है। बाल आयोग की टीम ने यहां दो दिन पहले जांच की, शनिवार को जिला प्रशासन की टीम इंस्पेक्शन करने पहुंची।  मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदता शर्मा ने बताया कि हमने बच्चियों से बंद कमरों में चर्चा की। उनके चेहरों पर हंसी नहीं थी। बच्चियों के कमरों में कैमरे निजता का हनन है। इंस्पेक्शन के समय महिला एवं बाल विकास अधिकारी रजनीश सिन्हा, डीईओ केसी शर्मा और दूसरे अधिकारी भी साथ थे। मान्यता के बगैर यह कैसे चल रहा है। रतलाम जिला प्रशासन की बड़ी लापरवाही है। शासन को इसकी रिपोर्ट भेजेंगे।  बाल आयोग टीम के निरीक्षण की खबर लगते ही शनिवार एडीएम डॉ. शालीनी श्रीवास्तव, एसडीओपी, महिला एवं बाल विकास अधिकारी रजनीश सिन्हा, डीईओ केसी शर्मा मदरसे पहुंचे। लड़कियों से जानकारी ली। मदरसा चलाने वाली कमेटी के पास परमिशन से जुड़े डॉक्यूमेंट्स नहीं हैँ। समिति ने बताया कि मध्यप्रेश मदरसा बोर्ड में आवेदन कर रखा है। काफी समय से पोर्टल बंद होने से परमिशन नहीं ले पाए।  दरअसल, बाल अधिकार संरक्षण आयोग सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने शुक्रवार को दारुल उलूम आयशा सिद्धीका लिलबिनात का निरीक्षण किया था। इस दौरान यहां खुले फर्श पर करीब 30 से 35 बच्चियां सोती पाई गई थीं। कमरे में बच्चों की सुविधा के लिए कोई इंतजाम नहीं मिले। करीब पांच वर्षीय एक बच्ची तो तेज बुखार से ग्रस्त मिली। इस पर डॉ. निवेदिता ने जमकर नाराजगी जाहिर की व कार्रवाई के निर्देश दिए। निरीक्षण के दौरान पता चला कि यह मदरसा महाराष्ट्र के ‘जामिया इस्‍लामिया इशाअतुल उलूम अक्‍कलकुआ’ से संबंधित है। टीम ने वहां पाया कि मदरसे में करीब 100 बच्चियों को रखा गया है, जिनमें से आधे से अधिक का नाम किसी अन्य शासकीय स्कूल में दर्ज है। मदरसे परिसर में ही 10वीं कक्षा तक का स्कूल भी संचालित है, जिसकी सोसायटी का पंजीयन वर्ष 2012 में हुआ था, लेकिन मान्यता 2019 में ली गई। मदरसे के अंदर साफ सफाई की कमी दिखी, इसके साथ ही दो बच्चियां ऐसी भी मिली जिनके माता-पिता नहीं है। ये बच्चे मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना में भी पंजीकृत नहीं पाए गए।  निरीक्षण के दौरान बच्चियों के कमरे में सीसीटीवी कैमरे लगे होने पर डॉ. शर्मा ने कहा कि बच्चियों की निजता का ध्यान भी नहीं रखा जा रहा है। सभी डरी सहमी सी दिखाई दी। यहां भोपाल, धार, बड़वानी, रतलाम, झाबुआ, इंदौर व कुछ बच्चे राजस्थान के भी थे। आयोग ने अब सभी बच्चियों की जानकारी मांगी है। गंभीर बात यह है कि मदरसे में कोई भी महिला कर्मचारी नहीं मिली। अधिकांश जगह कमरों में अंधेरा ही था।  निरीक्षण के दौरान संचालकों ने मान्यता के दस्तावेज नहीं दिखाए और बाद में माना कि उनके द्वारा मान्यता नहीं ली गई है। दरअसल मप्र मदरसा बोर्ड भी आवासीय मदरसे को मान्यता नहीं देता है। मान्यता नहीं होने पर मदरसा संचालन के लिए शासन से कोई अनुदान मिलना भी संभव नहीं है। ऐसे में संचालन को लेकर आय-व्यय की स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। मदरसे में कार्यरत कर्मचारियों की सूची, पुलिस वैरिफिकेशन की जानकारी नहीं मिली।  मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने बताया कि मदरसे का अवैध संचालन किया जा रहा था। मान्यता, आय व्यय को लेकर भी जानकारी नहीं दी गई। प्रशासन से पूरी रिपोर्ट मांगी है। हर जगह कैमरे लगाकर बच्चियों की निगरानी करना भी संदेहास्पद है।  वहीं, एडीएम डॉ. शालीनी श्रीवास्तव का कहना है कि समिति के पास महाराष्ट्र की संस्था का पंजीयन है। यह मध्यप्रदेश से संबंधित नहीं है। मध्यप्रदेश मदरसा बोर्ड की मान्यता जरूरी है। समिति पदाधिकारियों का कहना है कि मदरसा बोर्ड का पोर्टल रन नहीं कर रहा है। सारे दस्तावेज मंगाए हैं। देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। उन्होंने बाल आयोग के निरीक्षण को लेकर कहा कि उनकी तरफ से कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। हालांकि, जांच के बाद कमरों से कैमरे हटा लिए गए हैं। मदरसे के कैम्पस में पुरुष आउटसाइड रहते हैं। बच्चियों के साथ पैरेंट्स भी यहां पर रहते हैं। मदरसे से जुड़े सारे दस्तावेज आने के बाद सारी स्थिति क्लीयर होगी।  दारुल उलूम आयशा सीद्दीका तिलबिनात मदरसा संचालन समिति के अध्यक्ष मोहम्मद आसिफ ने बताया कि सारी बात गलत है। यहां बहुत कमरे हैं। कमेटी बनी है। पुरानी कमेटी के आधार पर संचालित किया जा रहा है। मदरसा बोर्ड का पोर्टल बंद है। हमने आवेदन कर रखा है। सरकार के अधीन ही काम कर रहे हैं। रतलाम के आसपास के अलावा उज्जैन, इंदौर की लड़कियां हैं। छह महीने पहले नई कमेटी बनी है। जो भी कमियां सामने आती जाएंगी, सुधार करते चलेंगे।

MadhyaBharat 3 August 2024

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