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एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना हटाने के आरोप तथ्यहीन : शिक्षा मंत्री
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नई दिल्ली । केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटाने के आरोपों का कोई आधार नहीं है। केंद्रीय मंत्री प्रधान ने एक्स पर एक पोस्ट में कांग्रेस पर झूठ की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि शिक्षा जैसे विषय को भी अपने झूठ की राजनीति के लिए इस्तेमाल करना और इसके लिए बच्चों का सहारा लेना कांग्रेस पार्टी की घृणित मानसिकता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले और भारतीय शिक्षा व्यवस्था को बकवास बताने वालों को झूठ फैलाने से पहले सच जानने की कोशिश करनी चाहिए।

 

 

 

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत पहली बार एनसीईआरटी ने पाठ्यपुस्तकों में भारत के संविधान के विभिन्न पहलुओं— प्रस्तावना, मौलिक कर्तव्य, मौलिक अधिकार, राष्ट्रगान को उचित महत्व और सम्मान देने का काम किया है। बच्चों के समग्र विकास के लिए नई शिक्षा नीति (एनईपी) के दृष्टिकोण का पालन करते हुए इन सभी पहलुओं को उचित आयु विभिन्न चरणों की पाठ्यपुस्तकों में रखा जा रहा है।

 

लॉर्ड मैकाले द्वारा शुरू की गई शिक्षा प्रणाली को लेकर शिक्षा मंत्री ने कहा कि मैकाले की विचारधारा से प्रेरित कांग्रेस शुरू से ही भारत के विकास और शिक्षा व्यवस्था से घृणा रखती है। यह तर्क कि केवल संविधान की प्रस्तावना ही संवैधानिक मूल्यों का प्रतिबिंब है, कांग्रेस की संविधान की समझ को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का पाप का घड़ा भर चुका है और आजकल जो 'झूठे संविधान प्रेमी' बनकर घूम रहे हैं और संविधान की प्रति लहरा रहे हैं, इनके पूर्वजों ने ही बार-बार संविधान की मूल भावना की हत्या करने का काम किया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी में अगर थोड़ी सी भी शर्म और आत्मग्लानि बची हो तो पहले संविधान, संवैधानिक मूल्यों और एनईपी को समझें और देश के बच्चों के नाम पर अपनी क्षुद्र राजनीति करना बंद करे।

 

उल्लेखनीय है कि इस साल कक्षा 3 और कक्षा 6 की कई पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटाने के आरोपों पर एनसीईआरटी पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि इन दावों का कोई ठोस आधार नहीं है। एनसीईआरटी ने इस बात पर जोर देते हुए कि संगठन अब नए शैक्षिक दृष्टिकोण के तहत भारतीय संविधान के विभिन्न पहलुओं, जिसमें प्रस्तावना, मौलिक कर्तव्य, मौलिक अधिकार और राष्ट्रगान शामिल हैं, पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

 

 

 

 

 

 

MadhyaBharat 6 August 2024

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