Since: 23-09-2009
वक्फ एक्ट को लेकर पेश किए गए संशोधन विधेयक में सरकार ने केंद्रीय और राज्यों के वक्फ बोर्ड में रिटायर्ड जज की नियुक्ति का प्रस्ताव दिया है ताकि कामकाज में पारदर्शिता आए.
केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार (8 अगस्त, 2024) को वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले कानून में प्रस्तावित संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किया. बिल में 40 संशोधन का प्रस्ताव है. सरकार का दावा है कि इन बदलावों के जरिए कानूनों को आधुनिक, लोकतांत्रिक और गरीब मुसलमानों के हितों को ध्यान में रखते हुए बनाने की कोशिश की गई है.
वक्फ कानून का नाम बदलकर 'एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम' कर दिया गया है और इस्लाम के विद्वान मानते हैं कि इन बदलावों का मुस्लिम समुदायों पर दूरगामी असर पड़ेगा. वहीं, सरकार का यह कहना है कि यह विधेयक कानून में मौजूद खामियों को दूर करने और इसलिए लाया जा रहा है, ताकि वक्फ की संपत्तियों का प्रबंधन और संचालन बेहतर तरीके से हो सके. आइए जानते हैं कि प्रस्तावित संशोधन विधेयक में सरकार ने वक्फ एक्ट में कौन से बड़े बदलाव करने की बात कही है
बिल में वक्फ बोर्ड में पूर्व जज की नियुक्ति का प्रस्ताव दिया गया है. केंद्रीय और राज्यों के वक्फ बोर्ड में एक पूर्व जज होंगे, जिससे बोर्ड के कामकाज में ट्रांसपरेंसी आएगी. मानवाधिकार सहित कई बड़ी संस्थाओं में चेयरमैन के तौर पर रिटायर्ड जज को नियुक्त किया जाता है और अब यही मॉडल वक्फ बोर्ड में भी अपनाया जाएगा.
संशोधन विधेयक में प्रस्ताव दिया गया है कि वक्फ को ऐसा व्यक्ति अपनी जमीन दान कर सकता है, जो कम से कम पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हो. साथ ही जो जमीन वह वक्फ को दान करना चाहता है, उस पर उसका मालिकाना हक होना चाहिए. फिलहाल ऐसा कोई नियम वक्फ एक्ट में नहीं है. कोई भी शख्स अल्लाह के नाम पर या इस्लामिक कार्यों के लिए या परोपकार के मकसद से जमीन दान कर सकता है.
अब अगर कोई अपनी संपत्ति वक्फ को दान करना चाहता है तो उसको वक्फनामा के जरिए लिखित में इसकी घोषणा करने होगी. सिर्फ बोल देने से ऐसा नहीं हो पाएगा या उसको मान्य नहीं माना जाएगा. वक्फ की सभी संपत्तियों की पूरी जानकारी डिजीटल होगी और इस तरह कोई दूसरा उस पर कब्जा नहीं कर सकेगा.
संशोधन विधेयक में प्रस्ताव दिया गया कि वक्फ की जमीन का सर्वे जिला कलेक्टर या डिप्टी कमीश्नर करे. वर्तमान कानून में यह अधिकार अतिरिक्त कमीश्नर को दिया गया है.
नए संशोधनों के तहत केंद्रीय और राज्य के वक्फ बोर्ड में स्थानीय प्रतिनिधि भी एक सदस्य होगा, जो उस क्षेत्र का विधायक या सांसद हो सकता है और वह किसी भी धर्म से हो सकता है. इस तरह वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम की एंट्री होगी.
संशोधन विधेयक में केंद्रीय और राज्यों के सभी वक्फ बोर्ड में दो महिलाओं को अनिवार्य रूप से नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया गया है.
विधेयक में सीमा अधिनियम को लागू करने की अनिवार्यता को हटाने का प्रावधान है. इसका मतलब ये है कि जिन लोगों ने 12 साल से वक्फ की जमीन पर अतिक्रमण करके कब्जा किया हुआ है, वे इस संशोधन विधेयक के आधार पर मालिक बन सकते हैं.
संपत्ति वक्फ की है या नहीं, इसका फैसला करने का अधिकार वक्फ बोर्ड से वापस लेने का प्रस्ताव दिया गया है. जिले के कलेक्टर को यह बताने का अधिकार होगा कि प्रॉपर्टी वक्फ की है या नहीं. फिलहाल संपत्ति को लेकर आखिरी फैसला वक्फ बोर्ड के चेयरमैन का होता है.
साथ ही वक्फ का पंजीकरण सेंट्रल पोर्टल और डेटाबेस के जरिए होगा और बोहरा और आगाखानी समुदायों के लिए अलग वक्फ बोर्ड बनेगा. तीन सदस्यों वाली वक्फ ट्रिब्यूनल को भी दो सदस्यों तक सीमित कर दिया गया है और उसके फैसलों को अंतिम नहीं माना जाएगा. उसे 90 दिन के अंदर हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.
प्रस्ताव में वक्फ बोर्डों के अंदर ही शिया, सुन्नी, बोहरा और अहमदिया समुदायों के लिए प्रावधान करने की बाद कही गई है, जिससे उपेक्षित मुस्लिमों को भी मजबूती मिले.
वक्फ बोर्ड के सभी लेनदेन का कंट्रोलर एंड ऑडिट जनरल ऑफ इंडिया के जरिए ऑडिट कराने का भी प्रस्ताव है ताकि वक्फ के कामकाज में पारदर्शिता लाई जा सके. मंदिरों और धार्मिक स्थलों को लेकर इस तरह की व्यवस्था पहले से है, लेकिन वक्फ बोर्ड के मामले में अभी तक ऐसा नहीं है.
MadhyaBharat
9 August 2024
All Rights Reserved ©2024 MadhyaBharat News.
Created By: Medha Innovation & Development
|