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भोपाल । मध्य प्रदेश शनिवार को विजयादशमी का पर्व उत्साह और परंपरा के साथ मनाया गया। जा रहा है। राजधानी भोपाल समेत सभी शहरों से लेकर कस्बों तक में शाम को चल समारोह निकाले गए और जगह-जगह बुराई और अहंकार के प्रतीक रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले दहन किए गए। शाम को शुरू हुआ रावण दहन का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। इस दौरान आकर्षक आतिशबाजी भी की गई। कई स्थानों पर रामलीला समेत सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए।
विजयादशमी पर भोपाल में 25 जगह रावण दहन के बड़े आयोजन हुए। कोलार में 105 फीट ऊंचे रावण का दहन हुआ। भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सबसे पहले बिट्टन मार्केट में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की। यहां से कोलार पहुंचे। यहां 105 फीट ऊंचे पुतले का दहन किया गया। इसके बाद मुख्यमंत्री छोला दशहरा मैदान पहुंच गए हैं। वे यहां रावण दहन कार्यक्रम में शामिल हुए। उज्जैन में भगवान महाकाल की सवारी दशहरा मैदान पहुंची। यहां कलेक्टर ने सवारी का पूजन किया। इसके बाद रंग-बिरंगी आतिशबाजी की गई। इसके बाद रावण दहन किया गया।
इंदौर में शनिवार को विजयादशमी का पर्व उल्लास और धूमधाम के साथ मनाया गया। इस विशेष अवसर पर दशहरा मैदान में भव्य आतिशबाजी का आयोजन किया गया, जिसमें 111 फीट ऊंचे रावण के पुतले का दहन हुआ। रावण दहन से पूर्व आड़ाबाजार से अहिल्या गादीरक्षण समिति की पालकी निकाली गई, जिसमें होल्कर परिवार के सदस्यों ने पारंपरिक शमी पूजन किया। इस दौरान मुख्य आयोजनों में राजनीतिक दलों के नेता भी शामिल हुए। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने दशहरा मैदान पर आयोजित कार्यक्रम शामिल हुए, जबकि विजय नगर में हुए समारोह में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने शिरकत की। शहर के 10 प्रमुख स्थलों पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया गया। तिलक नगर में भी रावण दहन कार्यक्रम के दौरान मौजूद लोगों ने रतन टाटा सहित अन्य दिवंगत आत्माओं को मोबाइल के फ्लैश जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर स्वच्छता की शपथ भी ली गई।
शिवपुरी में दशहरे पर तीन स्थान पर रावण के पुतले का दहन किया गया। शिवपुरी सिटी में सबसे ऊंचा 90 फीट के रावण के पुतले का दहन हुआ। वहीं, सिद्धेश्वर मैदान में 51 फीट और काली माता मंदिर पर 48 फीट के रावण के पुतले का दहन किया गया। सतना में असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक पर्व विजयादशमी पर रावण के 35 फीट ऊंचे पुतले का दहन किया गया। रावण वध की लीला के बाद अहंकार का प्रतीक पुतला धू-धू कर जला। इसी के साथ आसमान रंगीन आतिशबाजी के खूबसूरत नजारे से रंगा नजर आने लगा, जबकि पूरे वातावरण में प्रभु श्रीराम का जयघोष गुंजायमान हो गया।
टीकमगढ़ जिले में पारंपरिक तरीके से मनाया गया। टीकमगढ़ शहर में रात 9.25 बजे नजरबाग परिसर में 35 फीट लंबे रावण के पुतले का दहन हुआ। साथ ही 20-20 फीट के मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया गया। रावण वध होते ही दर्शकों से भरा पूरा मैदान जय श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। इसके बाद देवी प्रतिमाओं का चल समारोह निकाला गया। शोभायात्रा मार्ग पर बड़ी संख्या में लोग देर रात तक बैठे रहे। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार पहुंचे। मंच से उन्होंने कहा हमें अपने अंदर के रावण को मारना होगा।
खरगोन के नवग्रह मेला मैदान पर धोती-कुर्ता व जैकेट पहने 51 फीट के महाबली रावण के पुतले का दहन हो गया। चटक परिधान में चमकती आंखों ने प्रभाव छोड़ा। श्रीराम, लक्ष्मण व हनुमानजी के वेश में पहाड़सिंहपुरा के रघुवंशी कलाकारों ने रावण को ललकारा। भगवान श्रीराम ने अग्निबाण छोड़कर रावण की नाभि को भेदा। इसके पहले झांसी के कलाकारों ने 30 मिनट तक आकर्षक क्रैकर्स शो किया। इस दौरान लोगों ने अपने मोबाइल के लाइट जला लिए। रात 8 बजे रावण के पुतले का दहन हुआ। रावण दहन से पूर्व श्रीराम, लक्ष्मण व हनुमानजी की शोभायात्रा खुली जीप में निकली। जो पहाड़सिंहपुरा के कलश चौक से निकलकर विभिन्न मार्गों से नवग्रह मेला मैदान पहुंची। साथ में श्रद्धालु रामजी के जयकारे लगाते हुए चल रहे थे।
दशहरा पर बुरहानपुर में 51 फीट और और नेपानगर में करीब 100 फीट के रावण के पुतले का दहन हुआ। इस दौरान दोनों ही जगह जमकर आतिशबाजी की गई। गुना में दशहरे के अवसर पर 51 फीट के रावण का दहन किया गया। दशहरा मैदान में कार्यक्रम हुआ। इससे पहले भगवान राम की यात्रा बाजार में होते हुए दशहरा मैदान पहुंची। यहां युद्ध के बाद रावण दहन हुआ। भगवान राम ने जलता हुआ तीर छोड़ा। कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों सहित अधिकारी-कर्मचारी और हजारों की संख्या में नागरिक मौजूद रहे। हरदा में शनिवार शाम को 51 फीट ऊंचे अहंकारी रावण का पुतला भगवान राम के एक तीर में दो मिनट में जलकर खाक हो गया। नेहरू स्टेडियम में हुए रावण दहन को देखने के लिए हजारों लोग पहुंचे थे। इससे पहले भगवान राम और अधर्मी रावण की सेना के बीच नाटकीय युद्ध भी हुआ। जहां तलवार चलीं, तीरों की बौछार भी हुई। अंत में रावण की सेना पराजित हो गई। जिसके बाद रावण के पुतले का दहन किया गया। इसी तरह प्रदेश के अन्य शहरों में भी दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया गया।
MadhyaBharat
13 October 2024
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