कोलकाता । बांग्लादेश के पूर्व विदेश मंत्री हसन महमूद ने देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति को "चिंताजनक" बताते हुए अंतरिम सरकार और उसके प्रमुख सलाहकार मुहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों और आतंकवादी ताकतों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि "भारत-विरोधी बयानबाजी, कट्टरपंथियों को प्रोत्साहन और आतंकवादी गतिविधियां"आपस में जुड़े हुए प्रयास हैं, जिनकी वजह से बांग्लादेश पूरी तरह अराजकता में घिर गया है।
पूर्व विदेश मंत्री महमूद ने दूरभाष पर हुई बातचीत में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के अपदस्थ होने के बाद से कट्टरपंथी समूह, विशेष रूप से बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी, सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि धार्मिक स्थलों और हिंदू मंदिरों पर हमले एक "चिंताजनक पैटर्न" का हिस्सा हैं, जो अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को खतरे में डाल रहे हैं।
उन्हाेंने आरोप लगाया कि शेख हसीना के प्रशासन के हटने के बाद बने राजनीतिक शून्य का फायदा उठाकर कट्टरपंथी गुट सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने पाकिस्तान के दूतावास की गतिविधियों पर भी सवाल उठाए और आरोप लगाया कि पाकिस्तान इन गुटों को बढ़ावा देने में भूमिका निभा रहा है। उन्हाेंने कहा, "भारत-विरोधी बयानबाजी और कट्टरपंथी ताकतों का उभार आपस में जुड़े हुए हैं। अंतरिम सरकार के कई प्रमुख नेता और समर्थक इन ताकतों से जुड़े हुए हैं।"
उन्हाेंने कहा कि देश के हर कोने में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले तीन महीनों में मंदिरों पर कई हमले हुए हैं और सरकार ने इन्हें रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। उन्हाेंने चेतावनी दी कि बांग्लादेश को "दूसरे अफगानिस्तान" में बदलने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 22 फीसदी थी, जो अब घटकर मात्र आठ फीसदी रह गई है।
पूर्व विदेश मंत्री महमूद ने उम्मीद जताई कि अमेरिका की नई ट्रंप सरकार बांग्लादेश में "स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव" कराने के लिए दबाव बनाएगी। उन्होंने कहा कि एक लोकतांत्रिक बांग्लादेश क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा में योगदान देगा। उन्होंने मुहम्मद यूनुस के उस बयान को खारिज किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि हिंदुओं पर हमले "अतिरंजित" हैं और यह मुद्दा राजनीतिक है।
महमूद ने कहा, "यह कोई राजनीतिक धारणा नहीं बल्कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए वास्तविक खतरा है।" उन्होंने कहा, "कट्टरपंथी ताकतों को बढ़ावा देना बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरनाक है।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब भी कट्टरपंथी ताकतों को बल मिला है, तब भारत-विरोधी भावनाओं में इजाफा हुआ है।
गाैरतलब है कि चटगांव में मंगलवार को सुरक्षा बलों और इस्कॉन के सन्यासी चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के समर्थकों के बीच हुई झड़पों के दौरान एक सहायक सरकारी वकील की हत्या के मामले में कम से कम 30 लोगों को हिरासत में लिया गया। दास, जो बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोट के प्रवक्ता हैं, को सोमवार को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
इस घटना पर भारत के विदेश मंत्रालय ने चिंता जताते हुए कहा, "हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले गंभीर चिंता का विषय हैं।" मंत्रालय ने यह भी कहा कि अल्पसंख्यकों की संपत्तियों पर हमला, मंदिरों का अपवित्रीकरण और धार्मिक नेताओं के खिलाफ कार्यवाही जैसी घटनाएं बार-बार सामने आई हैं।