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भोपाल से यूनियन कार्बाइड फैक्टरी का जहरीला कचरा विशेषज्ञों की निगरानी में भेजा जाएगा पीथमपुर
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भोपाल । मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में दुनिया की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड फैक्टरी में मौजूद 337 टन जहरीले कचरे का निपटान करने की तैयारी पूरी हो गई है। तमाम कवायदों के बाद इस जहरीले कचरे का निष्पादन पीथमपुर स्थित रामकी फैक्टरी में किया जाएगा। यूनियन कार्बाइड के गोदाम में रखे इस 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे की पैकेजिंग विशेषज्ञों की निगरानी में की जा रही है। इसे 12 कंटेनर में भरकर 250 किलोमीटर का ग्रीन कॉरिडोर बनाकर भोपाल से पीथमपुर ले जाया जाएगा।
 
यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को रविवार को विशेषज्ञों की मौजूदगी में 12 कंटेनर में भरने की प्रक्रिया शुरू हुई है, जो देर रात तक चली। सोमवार को भी यह प्रक्रिया जारी है। सुबह से ही फैक्टरी के 200 मीटर के दायरे को सील कर दिया है। रास्ते भी बंद किए गए हैं। कैंपस में 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात हैं। वहीं, कुल 400 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी, विशेषज्ञ और डॉक्टरों की टीम इस काम में जुटी है। गैस कांड के 40 साल बाद पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट (रामकी) कंपनी के विशेषज्ञों की निगरानी में यह कचरा 12 कंटेनर ट्रकों में भरा जा रहा है।
 
इधर, जहरीला कचरा भरते हुए विशेष सावधानी बरती जा रही है। हवा में यूनियन कार्बाइड गैस फैलने के कारण 1984 में पांच हजार से अधिक मौतें हुई थीं। इसीलिए फैक्टरी परिसर में तीन जगहों पर एयर क्वालिटी की मॉनिटरिंग के लिए उपकरण लगाए हैं। इनसे पीएम 10 व पीएम 2.5 के साथ नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड आदि की जांच की जा रही है। कचरा जिस स्थान पर रखा है, उस इलाके की धूल भी कचरे के साथ जाएगी। यदि कहीं कचरा गिरा है तो उस जगह की मिट्टी को भी पीथमपुर ले जाया जाएगा। इस मिट्टी और धूल की भी टेस्टिंग होगी। जांचा जाएगा कि कहीं मिट्‌टी भी तो जहरीली नहीं हुई। यहां सभी कर्मचारियों को सुरक्षा किट, मास्क आदि उपकरण दिए गए हैं। इसके बाद भी यदि किसी का स्वास्थ्य बिगड़ता है तो उसे तत्काल मौके पर ही उपचार दिया जाएगा।
 
अभी 337 टन जहरीला कचरा थैलियों में फैक्टरी के अंदर रखा है। इसे खास जंबू बैग में पैक किया जा रहा है। ये एचडीपीई नॉन रिएक्टिव लाइनर के बने हैं। इनमें मटैरियल में कई रिएक्शन नहीं हो सकता। कंटेनर को भेजने से पहले यहां वजन होगा और पीथमपुर में पहुंचने पर वहां भी वजन किया जाएगा। पीथमपुर में कचरे को रखने के लिए लकड़ी का प्लेटफॉर्म बनाया गया है। यह प्लेटफार्म जमीन से करीब 25 फीट ऊपर बना है। इस कचरे को कब जलाना है, यह फैसला सीपीसीबी के वैज्ञानिकों की टीम करेगी। वही उसे जलाने की पूरी प्रक्रिया तय करेगी। किस मौसम में, कितने तापमान पर और कितनी मात्रा में जलाया जाए, यह फैसला लेने से पहले सैंपल टेस्टिंग भी होगी। इसके बाद कचरे को रामकी एनवायरो में जलाया जाएगा।
 
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 6 जनवरी तक जहरीले कचरे को हटाने के निर्देश दिए थे। इससे पहले 3 जनवरी को राज्य सरकार को उच्च न्यायालय में रिपोर्ट पेश करना है। यानी, 2 जनवरी तक हर हाल में कचरा पीथमपुर भेजना ही है। रामकी कंपनी इसका निष्पादन करेगी। इस संबंध में भोपाल गैस त्रासदी राहत-पुनर्वास के संचालक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि गाइडलाइन को फॉलो करते हुए कचरे को भोपाल से पीथमपुर ले जाया जाएगा। हाई कोर्ट के निर्देश में पूरी प्रक्रिया की जा रही है। आगामी 3 जनवरी को हाई कोर्ट में शपथ पत्र देना है। इसलिए कचरे को भेजने की प्रक्रिया सरकार इससे पहले पूरी कर लेगी।
 
जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने का विरोध-
कचरे को पीथमपुर में जलाने को लेकर कांग्रेस विरोध जता चुकी है। वहीं, गैस पीड़ित संघ भी आंदोलन कर चुके हैं। पीथमपुर में रक्षा मंच के नेतृत्व में कचरा जलाने का विरोध किया जा रहा है। गैस पीड़ित संगठनों के सदस्यों का दावा है कि 337 टन कचरा यहां मौजूद कचरे का एक प्रतिशत भी नहीं है। भोपाल ग्रुप फार इंफार्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने बताया कि यहां एक तालाब में जहरीला कचरा फेंका गया था। साथ ही 36 एकड़ जमीन में जहरीला कचरा दफन है। ऐसे में परिसर से कचरा इतनी आसानी से खत्म नहीं होगा।
MadhyaBharat 30 December 2024

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