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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत शिक्षा को समानता, सर्व सुलभ, सर्व समावेशी और गुणवत्ता के उद्देश्यों के साथ लागू किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने स्कूल जाने वाले बच्चों को तकनीक के अत्यधिक जोखिम से बचाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन सीखने की हाइब्रिड प्रणाली विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विज्ञान प्रयोगशालाओं वाले माध्यमिक विद्यालयों को अपने क्षेत्र के किसानों को मिट्टी के परीक्षण के लिए जोड़ना चाहिए। इससे मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में किसानों और छात्रों में जागरूकता पैदा होगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संचालन समिति के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा तैयार की जा रही है।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अनुसार बैठक में प्रधानमंत्री को अवगत कराया गया कि राष्ट्रीय संचालन समिति के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा तैयार करने का कार्य प्रगति पर है। स्कूली शिक्षा में, बालवाटिका में गुणवत्ता ईसीसीई, निपुण भारत, विद्या प्रवेश, परीक्षा सुधार और कला-एकीकृत शिक्षा, खिलौना-आधारित शिक्षाशास्त्र जैसे अभिनव शिक्षण जैसे पहलों को बेहतर सीखने के परिणामों और बच्चों के समग्र विकास के लिए अपनाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आंगनबाडी केन्द्रों द्वारा अनुरक्षित डेटाबेस को स्कूल डेटाबेस के साथ समेकित रूप से एकीकृत किया जाना चाहिए क्योंकि बच्चे आंगनबाडी से स्कूलों में जाते हैं। स्कूलों में बच्चों के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच और स्क्रीनिंग तकनीक की मदद से की जानी चाहिए। छात्रों में वैचारिक कौशल विकसित करने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित खिलौनों के उपयोग पर जोर दिया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री को यह भी बताया गया कि आजीवन सीखने के लिए मल्टीपल एंट्री-एग्जिट सिस्टम के दिशा-निर्देशों के साथ-साथ डिजी लॉकर प्लेटफॉर्म पर एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट लॉन्च करने से अब छात्रों को उनकी सुविधा और पसंद के अनुसार अध्ययन करना संभव हो जाएगा। अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट में पंजीकृत लगभग 400 उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ उच्च शिक्षा में एकाधिक प्रवेश व निकास एक वास्तविकता बन गया है। यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार छात्रों को एक साथ दो शैक्षणिक कार्यक्रम करने की अनुमति दी गई है।
शैक्षणिक उपलब्धि में भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए बहुभाषीयता को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि अंग्रेजी के ज्ञान की कमी किसी भी छात्र की शैक्षिक प्राप्ति में बाधा न बने। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए राज्य मूलभूत स्तर पर द्विभाषी/त्रिभाषी पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन कर रहे हैं और दीक्षा मंच पर सामग्री 33 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराई गई है। एनआईओएस ने माध्यमिक स्तर पर भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) को भाषा विषय के रूप में पेश किया है।
एनईपी 2020 की सिफारिशों के अनुसार भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा दिया जा रहा है। एआईसीटीई में एक भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) सेल की स्थापना की गई है और देश भर में 13 आईकेएस केंद्र खोले गए हैं।
बैठक में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर, सुभाष सरकार, अन्नपूर्णा देवी और राजकुमार रंजन सिंह और प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, कैबिनेट सचिव, प्रधानमंत्री के सलाहकार, यूजीसी के अध्यक्ष, एआईसीटीईए, एनसीईआरटी और शिक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
MadhyaBharat
7 May 2022
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