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श्रीलंका ने विदेशी मुद्रा रखने की सीमा 10 हजार डॉलर की
भारत के पड़ोसी राज्य श्री लंका की स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती ही जा रही है। महंगाई बेरोजगारी अराजकता का माहौल बना हुआ है। श्रीलंका की आर्थिक स्थिति अब तक के सबसे खराब स्तर पर है। विदेशी मुद्रा के संकट की वजह से आज श्रीलंका के पास ईंधन भुगतान के लिए पैसा नहीं है। श्रीलंका ने लोगों के पास विदेशी मुद्रा रखने की सीमा को 15 हजार से घटाकर 10 हजार अमेरिकी डॉलर कर दिया है। श्रीलंका सरकार ने कहा है कि वे इस ईंधन के लिए कतार में खड़े होकर इंतजार नहीं करें। यह साफ कहा गया है कि सरकार के पास पैसे नहीं हैं। तीन तेल के टैंकर बंदरगाह पर खड़े हैं। लेकिन श्री लंका की स्थिति ये है की वो पैसे न होने की वजह से बंदरगाह से तेल नहीं निकाल पा रहा है। विदेशी मुद्रा संकट की वजह से आज श्रीलंका के पास ईंधन भुगतान के लिए पैसा नहीं है। श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ने किसी व्यक्ति के पास विदेशी मुद्रा रखने की सीमा को 15,000 डॉलर से घटाकर 10,000 अमेरिकी डॉलर करने का फैसला किया है। देश में विदेशी मुद्रा संकट की वजह से आज श्रीलंका के पास ईंधन भुगतान के लिए पैसा नहीं है। इसी के मद्देनजर केंद्रीय बैंक ने यह फैसला लिया है।
गवर्नर ने कहा कि 10,000 डॉलर की सीमा के साथ संबंधित व्यक्ति को यह भी बताना होगा कि उसे यह राशि कहां से मिली है। उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा रखने वालों को दो सप्ताह की छूट दी जाएगी। इससे अधिक विदेशी मुद्रा को उन्हें बैंकिंग प्रणाली में अपने विदेशी मुद्रा खाते में जमा करना होगा या इसे ‘सरेंडर’ करना होगा। श्रीलंका के समुद्री किनारे पर लगभग दो महीने से पेट्रोल से लदा जहाज खड़ा है। लेकिन इसका भुगतान करने के लिए उसके पास विदेशी मुद्रा नहीं है। आपको ये भी बताते चलें की श्री लंका के नए पीएम रानिल विक्रम सिंघे ने कहा की पैसे की कमी को दूर करने के लिए मुद्रा को छापेंगे। जानकारों का मानना है की ऐसा करने से स्थिति और बिगड़ेगी। क्योंकि मुद्रा छपने से गरीबी दूर नहीं की जा सकती। यह आर्थिक हालातों को और बिगड़ेंगे। जैसा की वेनेजुएला और दूसरे देशों में हुआ है। आज इन देशों में मुद्रा गिर गई है। दूध या अन्य जरूरी सामान के लिए थैला भरकर पैसा लाना पड़ता है। लोग बड़ी मात्रा में पैसा लेकर जाते हैं। कई देशों ने करेंसी बढाकर खुद की स्थिति और खराब कर ली है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार करेंसी छपने के नियम होते हैं. जो प्रोडक्ट और जीडीपी के अनुसार होता है। उसमे कई पहलू काम करते हैं। लेकिन जानकारों की माने तो श्रीलंका के पास इतना पैसा नहीं है की वो सरकारी कर्चारियों को बेतन बांट सके। और श्रीलंका ने सिर्फ बेतन बाटने के लिए यह कदम उठाया है। श्री लंका के हालात अभी और खराब होने है। भारत ने श्रीलंका की कई बार मदद की। लेकिन श्रीलंका का चीन , जापान , वर्ल्डबैंक सहित कई देशों का कर्ज है। कर्ज न चुका पाने के कारण श्रीलंका का हम्बनटोटा बंदरगाह चीन ने अपने कब्जे में ले लिया है। 100 साल की लीज पर यह बंदरगाह चीन के पास रहेगा। चीन अपनी डेट यानी ऋण देने की पालिसी को बढ़ाता है। और देश के कर्ज न चुका पाने पर कब्ज़ा करना शुरू कर देता है। ऐसा ही कुछ चीन के पकिस्तान , नेपाल , बांग्लादेश के साथ करने की संभावना है ।
MadhyaBharat
20 May 2022
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