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क्या लखनऊ का नाम लक्षमण नगरी होगा ?
इधर ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा अभी चल ही रहा था की एक और विषय ने नया मुद्दा खड़ा कर दिया है। विषय लखनऊ को लेकर है। और यह चर्चाओं में उत्तरप्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के ट्वीट के बाद आया। बीजेपी की सरकार के आने के बाद उत्तरप्रदेश के कई शहरों के नाम बदल दिए गए। एक नाम इस समय फिर सुर्खियों में हैं। कयास लगाए जा रहे हैं की उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ को भगवान् राम के भाई लक्षमण पर किया जायेगा। हाल ही में हुए पीएम मोदी के उत्तरप्रदेश के दौरे के दौरान बीजेपी ने एक पोस्टर के साथ पीएम मोदी का स्वागत किया। जिसमे यह लिखा गया की लक्षमण की नगरी लखनऊ में पीएम मोदी का स्वागत है। प्रधानमंत्री के स्वागत के दौरान सीएम योगी ने मोदी के साथ अपनी और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की एक तस्वीर के साथ ट्वीट करते हुए लिखा, “शेषावतार भगवान लक्ष्मण की पावन नगरी लखनऊ में आपका हार्दिक स्वागत व अभिनंदन है। जिसके बाद यह बात ज्यादा सुर्खियों में आई। 16 मई, 2022 कोलखनऊ में कई ऐसी गतिविधियां हुई जिसने यह सोचने पर मजबूर किया की यह कहीं भगवान् लक्ष्मण के नाम पर बदला तो नहीं जायेगा। लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया ने घोषणा की है कि हनुमान मंदिर के पास झूलेवाला वाटिका में लक्ष्मण की 151 फुट की प्रतिमा लगाई जाएगी। प्रस्ताव सरकार को भेज दिया गया है और 15 करोड़ रुपये का बजट अलग रखा गया है।
क्या सच में भगवान “लक्ष्मण की नगरी” है लखनऊ? कहां से आया लखनऊ का नाम। दरअसल लखनऊ का नाम लंबे समय से कहानियों और लोकप्रिय कथाओं में लक्ष्मण के साथ जुड़ाता रहा है। शहर के नाम बदलने की अटकलों को तब बल मिला, जब दिवंगत भाजपा नेता लालजी टंडन ने 2018 में अपनी किताब में इसका जिक्र किया। लाल जी टंडन तो नहीं रहे लेकिन उनकी इस किताब ने हलचल मचा दी है। सवाल यह की क्या वाकई में लखनऊ भगवान ” लक्ष्मण की नगरी” है? इस को लेकर इतिहासकार और जानकार की क्या राय है। सीएम योगी के इस ट्वीट के बाद लखनऊ के नाम बदलने की चर्चा शुरू हो गई। पौराणिक कथाओं के मुताबिक़ लखनऊ कौशल राज का हिस्सा है। मान्यता है कि भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने इस शहर को बसाया था। यह श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या से लगभग 80 किमी दूर है। बताते हैं कि लखनऊ में लक्ष्मण टीला, लक्ष्मणपुरी, लक्ष्मण पार्क समेत कई ऐसे स्थान हैं, जो लक्ष्मण के नाम पर हैं।कहा जाता है की लक्ष्मण के टीले को टीले वाली मस्जिद बना दिया गया। औरंगजेब ने टीले वाली मस्जिद का निर्माण कराया था। इतिहासकार अब्दुल हलीम शरर ने अपनी पुस्तक "पुराना लखनऊ" में लिखा है, “कुछ निष्कर्षों और प्राचीन लोककथाओं के आधार पर यह निश्चित रूप से कोई नहीं जानता कि शहर की स्थापना किसने की और इसका नाम कैसे पड़ा? यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भगवान राम के वनवास से लौटने के बाद यह भूमि उनके भाई लक्ष्मण को दी गई थी।”टीले के चारों ओर एक बस्ती बसाई गई थी, जिसे लक्ष्मणपुर के नाम से जाना जाने लगा और लक्ष्मण टीला के रूप में लोकप्रिय हो गया। ऐसा माना जाता था कि टीले की गहराई में एक गुफा भी है।
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