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सुप्रीम कोर्ट ने ए. जी. पेरारिवलन को किया रिहा
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्याकांड मामले में नया मोड़ आया। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया । 31 साल से जेल में बंद हत्या की साजिश करने वाले ए. जी. पेरारिवलन को रिहा कर दिया गया । इसमें धारा 142 और 161 का विशेष उपयोग किया गया। पेराविलन ने मानवीयता के आधार पर इस मामले में याचिका दाखिल की थी। कांग्रेस ने पेररिवलन की रिहाई को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी बताएं कि क्या यही राष्ट्रवाद है। गौरतलब है की राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक बम धमाके में हुई थी। धमाके में उपयोग किए गए दो 9 वोल्ट की बैटरी खरीद कर मुख्य दोषी शिवरासन को देने के आरोप में ए. जी. पेरारिवलन को दोषी ठहराया गया था। इसके बाद से पेररिवलन को फांसी फिर उम्र कैद की सजा हुई। सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन को रिहा करने के लिए अनुच्छेद 142 का उपयोग किया । इसके तहत कोर्ट किसी भी मामले में कंप्लिट जस्टिस के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करता है। जिसे कोर्ट की विशेष शक्ति के तौर पर भी जाना जाता है। आपको बता दें यह सिर्फ दया का मामला नहीं था। कोर्ट से राहत मिलने के बाद पेररिवलन ने कहा कि मैं 31 साल से संघर्ष कर रहा हूं। अब बाहर आऊंगा और हम अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करेंगे। उन्होंने कहा कि इस मामले में मृत्युदंड की आवश्यकता नहीं है। यह सिर्फ दया का मामला नहीं है। कोर्ट ने भी ऐसा माना है। इससे पहले मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर सरकार कानून का पालन नहीं करेगी, तो हम आंख मूंद नहीं सकते हैं। साथ ही कहा था कि राज्यपाल कैबिनेट के फैसले को मानने के लिए बाध्य है। लेकिन अब तक इसे अमल में नहीं लाया गया है। दरअसल मृत्यु दंड को माफ़ करने की शक्ति राष्ट्रपति के पास होती है। और उम्र कैद को राज्यपाल ताल सकते हैं। लेकिन इस मामले में राज्यपालों ने लेट लतीफ़ की। जिसपर कोर्ट ने अपनी शक्ति का उपयोग करते हुए धरा 142 के तहत पेररिवलन को जेल से रिहा कर दिया। थोड़ा अगर विस्तार से समझे तो इस मामले में पहले जयललिता और ए. के. पलानीसामी ने तमिलनाडु कैबिनेट में 2016 और 2018 में दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की थी, लेकिन राज्यपालों ने इसे नहीं माना था। आखिर में इसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया था। पेररिवलन चूंकि तमिल समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। लिहाजा उनकी तरफ तमिल समाज का झुकाव रहा है। और वे पेररिवलन के किसी कार्य को भुला देना चाहते थे , जो श्रीलंका में तमिलों की हत्या के बाद पेररिवलन ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में किया। पेरारिवलन को 1998 में टाडा अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। साल 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा, लेकिन 2014 में इसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया। राहत नहीं मिलने के बाद पेरारिवलन और अन्य दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। दोषियों ने दलील दी कि 16 साल से ज्यादा की सजा भुगतने के बाद भी अन्य दोषियों की तरह उन्हे छूट से वंचित कर दिया गया है। अब तक वे तीन दशक तक जेल की सजा काट चुके हैं। करीब 31 साल पेररिवलन की रिहाई से जहां वो खुश नजर आये वहीं कांग्रेस ने इस फैसले पर ऐतराज जताया है।
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