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जटिल बताते हुए तीन जजों की बेंच को मामला सौंप दिया गया
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा 16 महीने के लंबे कार्यकाल के बाद रिटायर होने जा रहे हैं। ऐसे समय में राजनीतिक दलों के द्वारा चुनाव के समय की जाने वाली फ्री की योजनाओं पर उच्चतम न्यायालय में अहम सुनवाई हुई। सर्वोच्च अदालत ने इस मामले को जटिल बताते हुए तीन जजों की बेंच को मामला सौंप दिया है। । 'इसमें शामिल मुद्दों की जटिलताओं और सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु सरकार में इस अदालत की दो-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए फैसले को खारिज करने की प्रार्थना को देखते हुए, हम तीन-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष याचिकाओं के सेट को सूचीबद्ध करते हैं। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एन वी रमणा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि 'इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि एक चुनावी लोकतंत्र में सच्ची शक्ति मतदाताओं के पास होती है। मतदाता पार्टियों और उम्मीदवारों का न्याय करते हैं।' शीर्ष अदालत ने तीन-न्यायाधीशों की पीठ को इस संबंध में अपने 2013 के आदेश की समीक्षा करने का भी निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट को हुई सुनवाई में गुरुवार को राजनीतिक दलों द्वारा मतदाताओं को दी जाने वाली मुफ्त सुविधाओं की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को रद्द करने का फैसला किया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि 3 जजों की पीठ 2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा करने के लिए याचिकाओं पर विचार करेगी। चुनाव के दौरान 'फ्रीबी कल्चर' पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि देश की भलाई के लिए इस मामले पर बहस की जरूरत है। ऐसे में अब फ्री की रेवाड़ी बाटने पर सुनवाई होगी। तीन जजों की बेंच के पास यह मामला है।
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