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राजनीति में यात्राओं का रहा है विशेष महत्व
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा शुरू की है। राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा में कई दिल को छू लेने वाले पहलू सामने आये। एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्होंने अपनी माँ सोनिया गाँधी के जूते की लेस बांधी और उनसे आग्रह किया की आप गाडी में बैठ जाएं। यात्रा के दौरान कहीं राहुल बच्चों के साथ बच्चे बनकर दौड़ लगाते नजर आये। तो कहीं बरसात में भीगते हुए उन्होंने भाषण दिया। इस दौरान वे कई बीजेपी नेताओं के निशाने पर भी रहे। लेकिन उनकी भारत जोड़ो यात्रा लगातार आगे बढ़ती रही। कुछ ही दिनों में भारत जोड़ो यात्रा अब मध्यप्रदेश में भी प्रवेश करेगी। पर सवाल यह की क्या भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल गाँधी के प्रति लोगों का नजरिया बदला है। यात्राओं से किन किन पार्टियों को कब कब कितना फायदा हुआ। क्या राहुल गांधी लोगों को सच में जोड़ने में कामयाब हो रहे हैं ?
राजनीति में यात्राओं का विशेष महत्व रहा है। राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा 7 सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई है। और ये यात्रा अगले साल कश्मीर में खत्म होगी। यह भारत के इतिहास में किसी भी भारतीय राजनेता की सबसे बड़ी पैदल यात्रा है। तमिलनाडु में हरी झंडी दिखाने के बाद यात्रा केरल, कर्नाटक ,आंध्र प्रदेश , महाराष्ट्र और अब मध्यप्रदेश पहुंचेगी। राहुल गांधी के नेतृत्व में यह यात्रा देश के 12 राज्यों में 3,500 किलोमीटर की दूरी तय करेगी इसे आने वाले आम चुनाव के पूर्व कांग्रेस की खुद को स्थापित करने व जनसमर्थन की जमीन तैयार करने की कोशिश माना जा रहा है। राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा को अन्य दलों का भी समर्थन है। इस यात्रा ने राहुल गाँधी की लोकप्रियता को बढ़ाया है। यात्रा के दौरान राहुल गाँधी हर वर्ग हर व्यक्ति से मिले। फिर चाहे वह पार्टी का कार्यकर्ता हो या आम आदमी। राहुल कहीं बुजुर्गों से आशीर्वाद लेते , तो कहीं बच्चों से दुलार , तो कहीं साथियों के साथ गले मिलते नजर आए। युवाओं के साथ ने राहुल में नया जोश भर दिया है। राहुल को माताओं और बहनों का भी जबरदस्त प्यार मिल रहा है। राहुल जिस सहजता से लोगों से मिल रहे हैं। उसका परिणाम निश्चित तौर पर बेहतर होगा। कांग्रेस के दिग्गज नेता भी राहुल गाँधी की यात्रा में शामिल हो रहे है। एक क्षण ऐसा आया जब राहुल की भारत जोड़ो यात्रा में उनकी माँ सोनिया गांधी पहुंची। जहाँ जूते की लेस खुली देख उन्होंने माँ की जूते की लेस खुद बाँधी। इस पर राजनीती भी हुई.लेकिन राजनीती करने वाले भूल गए की देश में माँ शब्द का बहोत महत्व है। और इसपर राजनीती नहीं होनी चाहिए। राहुल गाँधी ने सोनिया गांधी को पैदल चलने से रोका। और गाड़ी में बैठने के लिए कहा। लेकिन सोनियां गाँधी राहुल के साथ पैदल चलती रहीं। वक्त ऐसा भी आया जब यात्रा के दौरान कई बार बारिश हुई.लेकिन राहुल की भारत जोड़ो यात्रा रुकी नहीं। हुल ने मूसलाधार बारिश के बीच लोगों को सम्बोधित किया। मैसेज साफ़ था की इस भारत जोड़ो यात्रा को कोई बाधा नहीं रोक सकती।
यात्रा के दौरान राहुल गांधी बच्चों के साथ बच्चों की तरह पेश हुए। उन्होंने बच्चों के साथ दौड़ लगाईं ,मस्ती की , क्रिकेट खेली और ऑटोग्राफ भी दिया। जहां जहाँ से यात्रा निकल रही है। राहुल वहां की संस्कृति और विचारों को जानने और समझने की कोशिश कर रहे हैं। लोगों से मिलने के साथ सीख भी रहे हैं। राहुल के माथे पर चूमता यह बच्चा मानों कह रहा है की आप आगे बढ़ो ,हम आपके साथ हैं। काली सफ़ेद दाढ़ियों के बीच राहुल गांधी लगातार मुश्किलों को पीछे छोड़ आगे बढ़ते जा रहे हैं। इस दौरान राहुल गांधी भाजपा नेताओं के निशाने पर भी रहे। बीजेपी नेताओं ने भारत जोड़ो यात्रा को लेकर तंज कसे। कांग्रेस पार्टी में लगातार बड़े बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला चलता रहा। अंदुरुनी कलह ने कभी पीछा नहीं छोड़ा। एक के बाद एक कई मुसीबते आईं। लेकिन लक्ष्य एक ही भारत जड़ो। इतनी मुसीबतों और विपरीत परिस्थितियों के बाद भी यात्रा रुकी नहीं। राहुल गाँधी ने अपने कदम पीछे नहीं लिए। वजह सिर्फ एक उनको जनता का भरपूर्ण प्यार मिला। जहां भी वे गए लोग उनके साथ जुड़ते गए। लोगों ने अपना पूरा समर्थन दिया। राहुल गाँधी ने बीजेपी के सवालों का जवाब भी दिया। और बेरोजगारी , महंगाई , अपराधों और घटनाओं पर सरकारों को घेरा।
आपको बता दें देश में कई राजनीतिक यात्राएं निकाली गई हैं। और इन यत्राओं ने लोगों को आकर्षित किया है। राजनेताओं ने यात्रा के जरिये पानी पहचान बनाई। और राजनीति में मजबूत कदम भी रखा। भारतीय राजनीति में राजनीतिक यात्राओं की अहम भूमिका रही है। बीते चार दशक की बात करें तो राजनीतिक माहौल को प्रभावित करने वाली कई यात्रायें निकाली गई। आंध्र प्रदेश में वर्ष 1982 में एनटी रामाराव ने चैतन्य रथम यात्रा निकाली 75 हजार किलोमीटर लंबी इस यात्रा ने प्रदेश के चार चक्कर लगाए जोकि गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में है। 29 मार्च 1982 को नंदमूरी तारक रामाराव ने तेलुगु सम्मान के मुद्दे पर तेलुगुदेशम पार्टी का गठन किया। और देश की पहली राजनीतिक रथयात्रा शुरू की वर्ष 1990 में भाजपा ने राममंदिर निर्माण आंदोलन को तेज करते हुए पूरे देश में भ्रमण करते हुए अयोध्या तक रथयात्रा की घोषणा की , इस यात्रा के सारथी बने लालकृष्ण आडवाणी। रथयात्रा 25 सितंबर को गुजरात में ख्यात तीर्थस्थल सोमनाथ से शुरू हुई और सैकड़ों शहरों व गांवों से होकर गुजरते हुए बिहार पहुंची। रथयात्रा के बीच राममंदिर आंदोलन में भारी संख्या में कारसेवक अयोध्या पहुंचे। वर्ष 1991 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को 120 सीटें मिलीं जो पिछले चुनाव से सीधे 35 अधिक थीं। भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय प्रधान मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में कन्याकुमारी से शुरू हुई यात्रा 24 जनवरी 1991 को जम्मू पहुंची थी। करीब एक लाख लोग इसमें शामिल हुए थे। मकसद था श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा फहराना उस यात्रा में जोशी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय भाजपा के महासचिव थे। बहरहाल राहुल गाँधी की इस यात्रा को लोगों का समर्थन भी मिल रहा है और प्यार भी। अब ये समय बताएगा यात्रा कितनी सफल होती है। यात्रा कुछ दिनों के बाद मध्य प्रदेश पहुंचेगी।जिसके लिए मध्यप्रदेश कांग्रेस ने तैयारियां शुरू कर दी है।
MadhyaBharat
6 November 2022
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