Since: 23-09-2009
पांच न्यायधीशों की संविधान पीठ ने तीन दो से सुनाया फैसला
उच्चतम न्ययालय की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने आज तीन-दो के बहुमत से 103 वें संविधान संशोधन की वैधता बरकरार रखी है जिसमें दाखिलों और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी, न्यायाधीश बेला त्रिवेदी और न्यायाधीश जेबी पारदीवाला ने अधिनियम के पक्ष में राय दी है जबकि न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट ने कानून को भेदभावपूर्ण और बुनियादी ढांचे का उल्लंघन बताते हुए इस पर असहमति व्यक्त की। प्रधान न्यायाधीश यू यू ललित ने न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की राय का समर्थन किया। न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने फैसला सुनाया कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दस प्रतिशत आरक्षण दिए जाने संबंधी कानून भेदभावपूर्ण नहीं है। न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहा कि आर्थिक मानदंड को ध्यान में रखते हुए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण देने संबंधी कानून बुनियादी ढांचे या समानता संहिता का उल्लंघन नहीं करता। उनका कहना था कि इस प्रावधान से 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण देने की सीमा के किसी प्रावधान को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। जनवरी 2019 में संसद ने 103वें संविधान संशोधन को मंजूरी दी थी और इसे तुरंत ही उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी। कांग्रेस सहित अधिकांश विपक्षी दलों ने कानून का विरोध नहीं किया, उच्चतम न्यायालय ने इसके खिलाफ 40 याचिकाओं पर सुनवाई की जिसमें तमिलनाडु भी शामिल है। याचिकाकर्ताओं ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण देने संबंधी कानून के कई पहलुओं पर सवाल उठाए थे, जिसमें यह भी शामिल था 1992 में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित आरक्षण पर 50 प्रतिशत की राष्ट्रीय सीमा को कैसे पार कर सकता है और क्या इसने संविधान के "बुनियादी ढांचे" को बदल दिया है। पहले इस मामले की सुनवाई तीन न्यायाधीशों ने की थी लेकिन बाद में 2019 में इसे पांच-न्यायाधीशों की एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया गया। संविधान पीठ ने सितम्बर में छह दिन से अधिक समय तक इस मामले की सुनवाई की और अपना फैसला सुरक्षित रखा था ।भारतीय जनता पार्टी ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण दिए जाने को बराकरार रखने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। ट्वीट संदेश में पार्टी महासचिव बी एल संतोष ने कहा कि गरीब कल्याण का एक और श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय की दिशा में यह एक बड़ा निर्णय है। नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद कांग्रेस नेता उदित राज की टिप्पणी पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या यह पार्टी का रूख है।
MadhyaBharat
7 November 2022
All Rights Reserved ©2024 MadhyaBharat News.
Created By: Medha Innovation & Development
|