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भारत को लोकतंत्र की जननी बनाया है-प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि संविधान की प्रस्तावना में लिखा गया - 'हम लोग' एक प्रतिबद्धता, संकल्प और विश्वास है जिसने भारत को लोकतंत्र की जननी बनाया है। उन्होंने भारतीय संविधान को खुले, भविष्यवादी और प्रगतिशील विचारों के लिए जाना जाने वाला बताते हुए कहा कि इसकी भावना युवा केंद्रित है। पीएम मोदी ने आज नई दिल्ली में उच्चतम न्यायालय में संविधान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए युवाओं से संविधान को बेहतर ढंग से समझने के लिए चर्चाओं में अधिक से अधिक भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका, सबके लिए न्याय को सुगम बनाने की दिशा में ई-पहल सहित कई कदम उठा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की वैश्विक स्थिति में सबकी निगाहें भारत पर हैं, तेज विकास के बीच देश अपनी वैश्विक छवि मजबूत कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक सप्ताह के भीतर जी-20 की अध्यक्षता संभालेगा और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि लोकतंत्र की जननी के रूप में देश की छवि मजबूत हो। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर 2008 की मुंबई आतंकी हमले की 14वीं बरसी पर जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि भी दी।
कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने ई-कोर्ट परियोजना के अंतर्गत की गई विभिन्न पहलों की भी शुरुआत की। यह परियोजना सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से वादियों, वकीलों और न्यायपालिका को सेवाएं प्रदान करने का एक प्रयास है। इनमें वर्चुअल जस्टिस क्लॉक, जस्टिस मोबाइल ऐप 2.0, डिजिटल कोर्ट और S3WaaS वेबसाइट्स शामिल हैं। वर्चुअल जस्टिस क्लॉक, अदालतों द्वारा मामलों के निपटान की स्थिति को जनता के साथ साझा करके अदालतों के कामकाज को जवाबदेह और पारदर्शी बनाएगी। जिला अदालत की वेबसाइट पर किसी भी न्यायालय की वर्चुअल जस्टिस क्लॉक को देखा जा सकता है। जस्टिस मोबाइल ऐप 2.0 के माध्यम से अब उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश लंबित मामलों और उनके निपटान की निगरानी कर सकते हैं। डिजिटल अदालत न्यायाधीश को डिजिटल रूप में अदालत के रिकॉर्ड उपलब्ध कराने की पहल है। S3WaaS वेबसाइटें, जिला न्यायपालिका से संबंधित निर्दिष्ट जानकारी और सेवाओं को प्रकाशित करने के लिए वेबसाइटों को बनाने, समरूपण करने, परिनियोजन करने और प्रबंधित करने के संबंध में हैं। इस अवसर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि भारतीय संविधान की कहानी केवल कानूनी विषयों और व्याख्या की कहानी नहीं है, बल्कि यह मानव संघर्ष तथा बलिदान और समाज के वंचित वर्ग के प्रति अन्याय को खत्म करने की कहानी है। विधि मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि प्रधानमंत्री ने न्यायिक प्रणाली में जन सामान्य का विश्वास बढ़ाने के लिए अदालतों में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। विधि मंत्री ने बताया कि मंत्रालय के तत्वावधान में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भारतीय भाषा समिति का गठन किया है। समिति उन शब्दों और वाक्यांशों को सूचीबद्ध कर रही है जिनका उपयोग कानून की विभिन्न शाखाओं में सबसे अधिक किया जाता है।
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