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हर साल 29 जनवरी को राजधानी के विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट समारोह होता है। बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी को सेना की वापसी का प्रतीक माना जाता है। तीनों सेना के बैंड पारंपरिक धुन बजाकर राष्ट्रपति से अपनी बैरकों में लौटने की इजाजत मांगते हैं। इससे पहले शनिवार को विजय चौक पर फुल ड्रेस रिहर्सल हुई।पहली बार नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक पर 3D एनामॉर्फिक प्रोजेक्शन का भी आयोजन होगा।बीटिंग द रिट्रीट सेना की बैरक वापसी का प्रतीक है। इस समारोह में भारत के राष्ट्रपति मुख्य अतिथि होते हैं। राष्ट्रपति के आते ही उन्हें नेशनल सैल्यूट देकर राष्ट्रगान जन-गण-मन शुरू होता है, तिरंगा फहराया जाता है। इसके बाद तीनों सेनाओं के बैंड मिलकर पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं। तीनों सेना के बैंड वादन के बाद रिट्रीट का बिगुल बजता है। इसके बाद बैंड मास्टर राष्ट्रपति के पास जाते हैं और बैंड वापस ले जाने की इजाजत मांगते हैं।बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की परंपरा राजा महाराजाओं के समय चली आ रही है। जब सूर्यास्त के बाद जंग बंद होने का ऐलान होता था। बिगुल बजाते ही सैनिक युद्ध बंद कर पीछे हट जाते थे। यब परम्परा 300 साल से भी ज्यादा पुरानी है। भारत के अलावा ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी होती है। भारत में इसकी शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। विजय चौक पर रविवार को बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी शुरू हुई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सेरेमनी में पहुंच गई हैं। इसके पहले उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, PM नरेंद्र मोदी भी पहुंचे। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मोदी का अभिवादन किया। तीनों सेनाओं के प्रमुख भी समारोह में मौजूद हैं।सेरमनी के साथ गणतंत्र दिवस कार्यक्रमों का समापन होगा। तीनों सेनाएं राष्ट्रपति के सामने 29 शास्त्रीय धुन बजाएंगी। इस मौके पर देश के इतिहास का सबसे बड़ा ड्रोन शो होगा। इस शो में 3,500 घरेलू ड्रोन शामिल होंगे।
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