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जगदलपुर। सुकमा जिले के अलग-अलग गांवों से पहुंचे शिक्षादूतों ने मुखबिरी करने के शक में शिक्षा दूत की हत्या की वारदात के बाद नक्सल प्रभावित इलाकों में पदस्थ अन्य शिक्षा दूतों ने अपने भविष्य और जान की चिंता को लेकर शुक्रवार को बस्तर संभाग मुख्यालय में एक बैठक का आयाजन किया।
बैठक में शामिल शिक्षादूतों ने कहा कि वर्ष 2018 से नक्सल प्रभावित इलाकों में सेवा दे रहे हैं। इसकी एवज में सरकार सिर्फ 11 हजार रुपये वेतन दे रही है।
शिक्षादूतों का कहना है कि हम बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। लेकिन अब तक सरकार की तरफ से हमें ज्वाइनिंग के संबंध में किसी तरह का कोई लिखित आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों को नक्सलियों ने बंद करवा दिया था, उन स्कूलों को फिर से खोला गया है। एसी ही स्कूलों में शिक्षा दूतों की सेवाएं ली जा रही हैं। उनका कहना है कि नक्सल प्रभावित ताड़मेटला गांव में पदस्थ कवासी सुक्का की एक दिन पहले नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। इससे पहले 2019 में बैनपल्ली में पदस्थ रहे शिक्षक मुचाकी लिंगा की भी हत्या की थी, जिसके बाद उनमें भी दहशत व्याप्त है।
शिक्षा दूतों का कहना है कि उन्हे जिला मुख्यालय में होने वाली विभागीय बैठकों में शामिल होने के लिए 100 से 200 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है, जिसमें शामिल होना आवश्यक होता है। जिले के जगरगुंडा, उरसंगल, चिंगारम, कामाराम, गोलापल्ली, जब्बा, भेज्जी, चिंतागुफा जैसे इलाकों में इनकी पदस्थापना की गई है। वहीं अब नक्सली पुलिस की मुखबिरी करने के शक में हत्या कर रहे हैं। इसके बाद नक्सल प्रभावित इलाकों में पदस्त अन्य शिक्षा दूतों को अपने भविष्य और जान की चिंता सताने लगी है। शिक्षादूतों का कहना है कि, यदि आने वाले समय में हमारे साथ ऐसी घटनाएं होती हैं तो हमारे परिवार के लिए सरकार की तरफ से कुछ भी सहारा नहीं है, इन हालातों में सरकार से मांग है कि हमारा वेतन बढ़ाये तथा हमारे बाद परिवार की सुरक्षा के लिए व्यवस्था प्रदान करे।
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