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रायसेन। मध्य प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल एवं बौद्ध अनुयायियों के तीर्थ स्थल सांची में दो दिवसीय महाबोधि महोत्सव रविवार शोभायात्रा के साथ संपन्न हुआ। इस बार महाबोधि महोत्सव में श्रीलंका, थाईलैंड, जापान समेत अन्य देशों से भक्तगण शामिल हुए। इस दौरान यहां दो दिवसीय मेले का भी आयोजन किया गया, जिसका देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने जमकर लुत्फ उठाया।
बता दें कि महाबोधि महोत्सव का शुभारंभ शनिवार, 25 नवम्बर को प्रातः 08 बजे भगवान बुद्ध के शिष्य सारिपुत्र और महामोदग्लायन के अस्थि कलश पूजन के साथ हुआ। अस्थि कलश पूजन के लिए श्रीलंका, जापान, वियतनाम सहित कई देशों से आए बौद्ध अनुयायी महाबोधि सोयायटी से स्तूप परिसर में स्थित बुद्ध मंदिर पहुंचे। स्तूप परिसर स्थित मंदिर में सुबह के समय श्रीलंका महाबोधी सोसायटी के अध्यक्ष वानगल उपतिस्स नायक थेरो तथा उनके शिष्यों द्वारा महात्मा बुद्ध के शिष्य महामोदग्लायन एवं सारिपुत्र की पवित्र अस्थियों की पूजा कर दर्शन के लिए रखा गया। इन पवित्र अस्थि कलशों को श्रीलंका महाबोधी सोसायटी के पदाधिकारियों तथा जिला प्रशासन के अधिकारियों की उपस्थिति में तलघर से मंदिर तक लाया गया।
महाबोधि महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को यहां शोभायात्रा निकाली गई। दोपहर दो बजे शोभायात्रा चेतयागिरी बिहार मंदिर से शुरू हुई। महाबोधी सोसायटी के तपस्वी स्वामी महाराज ने भगवान बुद्ध के परम शिष्य सारीपुत्र और महामुगलायन का अस्थि कलश अपने सिर पर रखकर मुख्य स्तूप की परिक्रमा की। इस बार वियतनाम का दल नहीं आया, इसलिए एक घंटे की शोभायात्रा बगैर बैंड के निकाली गईं। इस दौरान देश-विदेश से आए बुद्ध धर्म को मानने वाले अनुयायियों ने साधु-साधु का जयघोष किया।
गौरतलब है कि यह महोत्सव बौद्ध धर्म के महान उत्सवों में से एक है, जो महात्मा बुद्ध के बोधि प्राप्ति की
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