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एनटीपीसी ने राखड़ देना बंद कर दिया
बिलासपुर में अब एनटीपीसी ने राखड़ देना बंद कर दिया है। सीपत एनटीपीसी पावर प्लांट प्रबंधन और उद्यमियों के बीच विवाद शुरू हो गया है। एनटीपीसी से राखड़ सप्लाई को लेकर मामला नहीं सुलझ पा रहा है। प्रबंधन ने ब्रिक्स उद्योग को राखड़ सप्लाई बंद कर दी है। इससे पहले ब्रिक्स उद्योग से तीन सौ किलोमीटर की दूरी तक मुफ्त में पहुंचाकर राखड़ देते आ रहे थे। लेकिन अब परिवहन खर्च देने से इन्कार कर रहे हैं। इसके चलते राखड़ सप्लाई प्रभावित हो गई है। प्लांट में ही राखड़ डंप किया जा रहा है। लिहाजा आसपास के गांव में राखड़ फैल रहा है। स्थानीय ग्रामीणों को परेशानी हो रही है।केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 25 जनवरी 2016 को नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें कहा था कि एनटीपीसी को 100 किमी तक परिवहन कर मुफ्त में राखड़ पहुंचाकर देना होगा। आदेश के बाद एनटीपीसी ने मुफ्त में नियमानुसार उद्यमियों को राखड़ पहुंचाकर दिया जा रहा था। लेकिन एक माह से परिवहन खर्च देना बंद कर दिया है। इससे उद्यमियों को राखड़ नहीं मिल पा रहा है। फ्लाई ऐश का उपयोग की जांच करने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की टीम एनटीपीसी प्लांट पहुंची। वहां राखड़ बांध, फ्लाई ऐश ब्रिक्स उद्योगों का निरीक्षण किया। साथ ही प्रभावित गांवों के ग्रामीणों से भी पूछताछ की। तब ग्रामीणों ने अधिकारियों को दर्जनों समस्या सुनाई। डेम में राखड़ ओवर फ्लो हो रहा है। पूछताछ में पता चला कि प्लांट से राखड़ सप्लाई बंद है।
एनटीपीसी के डेम में राखड़ पूरी तरह से भर चुका है। जांजगीर के मड़वाताप विद्युत संयंत्र प्रबंधन से मुलाकात कर फ्लाईऐश उपलब्ध करवाने की मांग की गई है। प्लांट के जनरेशन सीईएचएन कोसरिया ने फ्लाईऐश पहुंचाकर देने का आश्वासन दिया है। हवा-तूफान के कारण राखड़ उड़कर गांवों तक पहुंच रहा है। किसानों के खेत में जमा हो रहा है। फ्लाईऐश उद्योग संघ के अध्यक्ष नवदीप छाबड़ा ने बताया कि एनटीपीसी प्रबंधन मुफ्त में राख उपलब्ध करवा रहे थे। लेकिन एक माह से परिवहन शुल्क देने से इन्कार कर दिया है। इससे एनटीपीसी से राख नहीं मिल रहा है।
MadhyaBharat
24 May 2022
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