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छ्त्तीसगढ़ के सुकमा जिले के तत्कालीन कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन ने उनका अपहरण करने वाले नक्सली को पहचानने से इनकार कर दिया है। दंतेवाड़ा में NIA की विशेष अदालत में उन्हें गवाही के लिए बुलाया गया था। जहां उन्होंने नक्सली हेमला भीमा को पहचानने से इनकार कर दिया है। इस मामले में अब तक कुल 16 गवाहों के बयान दर्ज किया गए हैं।कोर्ट में अपने बयान में उन्होंने कहा कि, 21 अप्रैल 2012 को सुकमा जिले के केरलापाल स्थित मांझी पारा में जल संरक्षण कार्यों के नक्शे का अवलोकन कर रहा था। उसी समय वहां पर गोली चलने की आवाज आई। गोली की आवाज सुनकर मैं खुद को बचाने के लिए जमीन पर लेट गया था। सभी इधर-उधर भागने लगे थे। मैंने देखा कि मेरे एक गनमैन किशन कुजूर जमीन पर गिरे हुए थे।एलेक्स पॉल मेनन ने बताया कि उसी समय किसी व्यक्ति ने कहा कि साहब आप भाग जाएं। तब मैं भाग कर अपने वाहन से आगे जा रहा था। तभी रास्ते में 3-4 बंदूकधारी नकाबपोश लोग सामने आ गए। पूछे कि कलेक्टर कौन है। फिर मैं सामने आया। जिसके बाद मेरे हाथ को रस्सी से बांध दिया। आंख में पट्टी बांधकर जंगल की ओर कहीं लेकर गए थे। कुछ देर बाद आंख की पट्टी खोल दिए थे। 12 दिन अपने साथ रखे। 13वें दिन छोड़ दिए थे। बुधवार को जब कोर्ट में नक्सली के बारे में पूछा गया तो उन्होंने उसे पहचानने से साफ इनकार कर दिया।बस्तर के केंद्रीय जेल में पिछले 12 साल तक कैद रही महिला निर्मलक्का उर्फ विजय लक्ष्मी को 4 साल पहले रिहा कर दिया गया था। दंतेवाड़ा फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहे मामले में पुलिस उस पर लगाए आरोप प्रमाणित नहीं कर पाई थी। ऐसे में सबूतों के अभाव में कोर्ट ने रिहा कर दिया। 2012 में सुकमा कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन को जब नक्सलियों ने अगवा किया था, उनकी रिहाई के लिए जिन आठ नक्सलियों की सूची सौंपी गई थी, उसमें निर्मलक्का उर्फ विजय लक्ष्मी और उसके पति चंद्रशेखर का नाम भी शामिल था।कलेक्टर के अपहरण के बाद सरकार की खूब किरकिरी हुई थी। मध्यस्थों के माध्यम से बातचीत के बाद कलेक्टर को रिहा कराया गया था। निर्मलक्का उर्फ विजयलक्ष्मी 157 मामलों में से 156 में वह पहले ही रिहा हो चुकी थी। इनमें कई केस विध्वंसक हमलों में शामिल होने के आरोप पर आधारित थे।
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