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छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में सरकारी योजनाएं दम तोड़ रही हैं। ग्राम गोडालबाय में पिछले 4 साल से सांप बिच्छू के खतरे के बीच झोपड़ीनुमा छत के नीचे विशेष पिछड़ी जनजाति के बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं। स्कूल के लिए भवन नहीं होने पर चंदा इकट्ठा कर झोपड़ी बनाए हैं, जहां करीब 50 बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं।
शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की कार्य प्रणाली से आहत अभिभावकों बच्चों की समस्याओं और परेशानी का खुद ही समाधान कर रहे हैं। जिला मुख्यालय से महज 30 और 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दलदली और गोडालबाय दोनों ही गांव के विशेष पिछड़ी जनजाति के कमार, भुंजिया, गोंड़ परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं।
दोनों ही गांव में स्कूल भवनों को नए निर्माण के नाम पर तोड़ दिया गया। बच्चों को ग्रामीण अपने घर में या फिर झोपड़ीनुमा छत के नीचे पढ़ाने को मजबूर हैं। दोनों ही गांव में बच्चों को पढ़ाने के लिए एक हेडमास्टम और एक शिक्षक है, जो पहली से पांचवी कक्षा के बच्चों को पढ़ाते हैं।
ग्राम दलदली में कुछ माह पहले प्राथमिक शाला के पुराने भवन को नए निर्माण के नाम पर तोड़ दिया गया, जो आज तक अधूरा ही पड़ा हुआ है। सड़क भी पूरी तरह कीचड़ से लथपथ है। प्राइमरी के लगभग 30 बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।
बच्चो की इस परेशानी को देखते हुए गांव के ही एक व्यक्ति ने अपने घर के बरामदे और आंगन को बच्चों को पढ़ाने के लिए दे दिया है। वहीं ग्राम गोडालबाय में स्कूल भवन तोड़ने के बाद से 50 बच्चे घांस फूंस की झोपड़ीनुमा छत के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं।
बच्चों ने बताया कि घास फूस की छत और जमीन पर उनको कई बार सांप और बिच्छू जैसे कई जहरीले जीव जंतु दिखते हैं। इन सब खतरों के बावजूद पढ़ने आते हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि शासन प्रशासन जल्द ही बैठने के लिए स्कूल भवन का निर्माण कराए, ताकि वह बिना किसी डर और दहशत के पढ़ाई कर सकें।
ग्रामीणों ओर स्कूल की हेड मास्टर ने बताया कि कुछ दिनों पहले लगभग 10 से 12 बच्चों के शरीर पर फफोले पड़ गए थे। घास-फूस छत पर किसी जहरीले कीड़े के कारण बच्चों और शिक्षक के शरीर मे इन्फेक्शन हो गया था। 3 से 4 दिन तक इलाज कराने के बाद बच्चों की तबीयत ठीक हुई है।
ग्रामीणों ने बताया कि कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों को तो कई बार कलेक्टर जन दर्शन में शिकायत की है, लेकिन समस्या का समाधान तो दूर पिछले चार साल में जिला प्रशासन के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने यहां आने की जहमत तक नहीं उठाई। ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव ने भी ग्रामीणों की किसी तरह से कोई मदद नहीं की।
जिला शिक्षा अधिकारी एके सारस्वत ने कहा कि स्कूल की जानकारी मिली है। बीआरसी और बीओ को देखने के लिए भेजा था। बाकी इस बारे में कुछ नहीं बता पाउंगा आप कलेक्टर से चर्चा कर लीजिए।
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