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कोण्डागांव। छत्तीसगढ़ की संस्कृति का प्रतीक लोक पर्व छेर छेरा पर्व शुक्रवार को पूरे छत्तीसगढ़ में मनाया जा रहा है। इसी पर्व पर पारंपरिक गीतों को गाते हुए कोण्डागांव के विधायक सह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम अपने कोण्डागांव विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पलारी में छेरा-छेरा नाचते हुए नजर आए और घर-घर जाकर अनाज एकत्रित करते रहे।
दरअसल, यह उत्सव कृषि प्रधान संस्कृति में दानशीलता की परंपरा को याद दिलाता है उत्साह एवं उमंग से जुड़ा छत्तीसगढ़ का मानस लोकपर्व के माध्यम से सामाजिक समरसता को सुदृढ़ करने के लिए आदिकाल से संकल्पित रहा है। इस दौरान लोग घर-घर जाकर अन्न का दान मांगते हैं। वहीं गांव के युवक घर-घर जाकर डंडा नृत्य करते हैं लोक परंपरा के अनुसार पौष महीने की पूर्णिमा को प्रतिवर्ष छेरछेरा का त्यौहार मनाया जाता है।
छेरछेरा छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोकपर्वों में से एक है। इस दिन धान मांगने की परंपरा है। कृषक परिवार इस मौके पर विशेष पूजा-अर्चना भी करते हैं। दरअसल, इस दिन मोहल्लों में बच्चों और युवाओं की टोलियां सुबह से दान मांगने के लिए निकल पड़ती हैं। वैसे तो यह गांवों का त्योहार है, लेकिन शहर में भी इसकी रौनक देखने मिल जाती है। अब शहर में तो किसी के पास धान होता नहीं तो श्रद्धावश लोग रुपए-पैसे और खाने-पीने की दूसरी चीजें देकर दान करने की परंपरा निभाते हैं और त्योहार की खुशियां मनाते हैं।
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