Since: 23-09-2009

  Latest News :
राहुल को मिला नया बंगला.   प्रधानमंत्री ने द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की.   मारकंडा नदी पर बना पुल बहा ट्रैक पर फंसे 125 यात्री.   पठानकोट में फिर दिखी संदिग्धों की मूवमेंट.   महिला पहलवानों के यौन शोषण मामले में बृजभूषण सिंह के खिलाफ ट्रायल शुरू.   के. कविता और मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 31 जुलाई तक बढ़ी.   कारगिल की विजय भारतीय सेना के शौर्य की पहचान : मुख्यमंत्री डॉ. यादव.   कटनी जिले में जहरीली गैस के रिसाव से चार की मौत.   प्रभात झा के निधन पर मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव सहित भाजपा नेताओं ने जताया दुख.   कुएं में उतरे चार लोग हुए बेहोश.   महामंडलेश्वर की हिन्दुओं को चार बच्चे पैदा करने की सलाह.   संघ को प्रतिबंधात्मक संगठन की सूची से हटाने में पांच दशक लगना दुर्भाग्य की बातः मप्र हाईकोर्ट.   मुख्यमंत्री साय ने कारगिल युद्ध के शहीदों को दी श्रद्धांजलि.   बस्तर फाइटर के एक जवान की मलेरिया से मौत.   पिकअप वाहन और मिनी ट्रक में हुई भिड़ंत.   छत्तीसगढ़ में अब तक 479.7 मिमी औसत वर्षा दर्ज.   दल्लीराजहरा से अंतागढ़ की तरफ जा रही पैसेंजर ट्रेन पेड़ से टकराई.   छग विधानसभा : जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने किया बहिर्गमन.  
छत्तीसगढ़िया पर्व छेर छेरा के मौके पर मोहन मरकाम ने घर घर मांगा अनाज
raipur,  Chhattisgarhi festival ,Chher Chhera

 

कोण्डागांव। छत्तीसगढ़ की संस्कृति का प्रतीक लोक पर्व छेर छेरा पर्व शुक्रवार को पूरे छत्तीसगढ़ में मनाया जा रहा है। इसी पर्व पर पारंपरिक गीतों को गाते हुए कोण्डागांव के विधायक सह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम अपने कोण्डागांव विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पलारी में छेरा-छेरा नाचते हुए नजर आए और घर-घर जाकर अनाज एकत्रित करते रहे।

दरअसल, यह उत्सव कृषि प्रधान संस्कृति में दानशीलता की परंपरा को याद दिलाता है उत्साह एवं उमंग से जुड़ा छत्तीसगढ़ का मानस लोकपर्व के माध्यम से सामाजिक समरसता को सुदृढ़ करने के लिए आदिकाल से संकल्पित रहा है। इस दौरान लोग घर-घर जाकर अन्न का दान मांगते हैं। वहीं गांव के युवक घर-घर जाकर डंडा नृत्य करते हैं लोक परंपरा के अनुसार पौष महीने की पूर्णिमा को प्रतिवर्ष छेरछेरा का त्यौहार मनाया जाता है।

 

छेरछेरा छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोकपर्वों में से एक है। इस दिन धान मांगने की परंपरा है। कृषक परिवार इस मौके पर विशेष पूजा-अर्चना भी करते हैं। दरअसल, इस दिन मोहल्लों में बच्चों और युवाओं की टोलियां सुबह से दान मांगने के लिए निकल पड़ती हैं। वैसे तो यह गांवों का त्योहार है, लेकिन शहर में भी इसकी रौनक देखने मिल जाती है। अब शहर में तो किसी के पास धान होता नहीं तो श्रद्धावश लोग रुपए-पैसे और खाने-पीने की दूसरी चीजें देकर दान करने की परंपरा निभाते हैं और त्योहार की खुशियां मनाते हैं।

MadhyaBharat 6 January 2023

Comments

Be First To Comment....
Video

Page Views

  • Last day : 8641
  • Last 7 days : 45219
  • Last 30 days : 64212


x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved ©2024 MadhyaBharat News.