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कोरबा। कोरबा के वनांचल क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था ने सात महीने की एक गर्भवती महिला की जिंदगी छीन ली। एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक चक्कर लगाने के चलते महिला को सही समय पर इलाज नहीं मिल सका। जिसके चलते दूसरे अस्पताल में महिला का इलाज जब तक शुरू हो पाता, उससे पहले ही उसकी मौत हो गई।
दरअसल, रविवार 29 अक्टूबर की सुबह मृतक महिला पुष्पांजलि कंवर अचानक ठंड के साथ शरीर में दर्द शुरू हो गया था। वह सात महीने की गर्भवती थी। तबीयत बिगड़ने पर महिला के परिजनों ने बिना देर किए उसे चारपहिया में लेकर गढ़ स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पहुंचे थे।
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में मौजूद महिला स्वास्थ्यकर्मी ने महिला के पूर्व में कराए गए सोनोग्राफी व जांच के रिपोर्ट्स देखे और इलाज से इंकार कर दिया। पति अपनी पत्नी के प्राथमिक उपचार के लिए महिला स्वास्थ्यकर्मी से गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन वह सेंटर में मरम्मत चलने का हवाला देते हुए महिला हाथ तक नहीं लगाई और किसी और जगह ले जाने की सलाह दे दी।
लंबी दूरी तय कर पहुंचा मेडिकल कॉलेज अस्पताल
इसके बाद महिला का पति शेर सिंह लंबी दूरी तय कर पत्नी को कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल लेकर पहुंचा। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के लिए तैयारी चल रही थी। गर्भवती महिला को जांच के लिए रूम में ले जाया जा रहा था कि इसी दौरान महिला ने दम तोड़ दिया।
दूसरी बार सात महीने की गर्भवती थी महिला
कोरबा जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर लेमरू थाना अंतर्गत ग्राम कनसरा ठाड़पखना में शेर सिंह कंवर निवास करता है। उसकी शादी साल 2021 में बिलासपुर जिले के रतनपुर थाना क्षेत्र के ग्राम बांसाझार में रहने वाली पुष्पांजलि कंवर 23 वर्ष से हुआ था। शेर सिंह रोजी-मजदूरी कर पत्नी व डेढ़ वर्षीय बेटी का भरण-पोषण करते आ रहा था। उसकी पत्नी पुष्पांजलि दूसरी बार सात महीने की गर्भवती थी।
डेढ़ साल की बेटी के सिर से उठा मां का साया
पति शेर सिंह का कहना है कि यदि वेलनेस सेंटर में प्राथमिक उपचार मिल जाती, तो उसकी पत्नी की जान बच सकती थी। उसके डेढ़ साल की बेटी के सिर से मां का साया उठ गया है। बहरहाल मामले में पुलिस कानूनी कार्यवाही कर रही है।
MadhyaBharat
30 October 2023
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