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इंदौर। इंदौर में उच्च न्यायालय की अनुमति मिलने के बाद पिता को नाबालिग बेटी का लीवर ट्रांसप्लांट कर दिया गया है। करीब 12 घंटे चला ऑपरेशन सफल रहा। इसके बाद दोनों को आईसीयू में रखा गया है। यहां उनके ऑब्जर्वेशन को लेकर डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ अलर्ट मोड पर है। मध्य प्रदेश का यह पहला मामला है कि जिसमें नाबालिग बेटी ने अपने पिता को लीवर दान किया है।
दरअसल, नाबालिग बेटी ने अपने पिता को लीवर दान करने के लिए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में गुहार लगाई थी। गुरुवार को कोर्ट ने नाबालिग बेटी की गुहार को स्वीकार करते हुए पिता को लीवर दान करने की अनुमति दे दी थी। इसके बाद एक निजी अस्पताल में डॉ. अमित बरफा की टीम ने गुरुवार दोपहर करीब दो बजे लीवर ट्रांसप्लांट करने की प्रक्रिया शुरू की, जो देर रात दो बजे तक चली। ऑपरेशन सफल होने के बाद डॉ. बरफा ने बताया कि 'पिता और बेटी दोनों ही स्वस्थ हैं। ट्रांसप्लांट के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आई है। एक हफ्ते के ऑब्जर्वेशन के बाद दोनों को प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट कर सकते हैं।
गौरतलब है कि इंदौर के नजदीकी गांव बेटमा निवासी 42 वर्षीय शिवनारायण बाथम पेशे से कृषक हैं। वह करीब छह वर्ष से लीवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। डॉक्टरों ने करीब दो माह पहले उनसे कह दिया था कि उन्हें लीवर ट्रांसप्लांट कराना पड़ेगा। इसके अलावा कोई अन्य उपचार नहीं है। शिवनारायण की बड़ी बेटी प्रीति अपने पिता को अपना लीवर देने को तैयार भी हो गई, लेकिन समस्या यह थी कि उसकी आयु 17 वर्ष 10 माह है और कानूनन एक नाबालिग अपना लीवर दान नहीं कर सकती थी। कोर्ट की अनुमति के बगैर डाक्टरों ने भी लीवर ट्रांसप्लांट से इनकार कर दिया था। इस पर परिजनों ने एडवोकेट नीलेश मनोरे के माध्यम से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य आयुक्त को आदेश दिया था कि वे नाबालिग की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें कि क्या वह लीवर का कुछ हिस्सा देने के लिए पूरी तरह से फिट है। गुरुवार को याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने नाबालिग बेटी को लिवर दान करने की अनुमति दे दी। इसके बाद लीवर नाबालिक बेटी का लीवर पिता को ट्रांसप्लांट कर दिया गया है।
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