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अयोध्या। जेहि दिन राम जनम श्रुति गावहिं, तीरथ सकल तहां चलि आवहिं... रामजन्म की भव्यता को दर्शाती रामचरित मानस की पंक्तियां इस रामनवमी पर साकार होती दिख रही है। श्री राम लला के अस्थाई गर्भ गृह में यह आखिरी श्री राम जन्ममोत्सव मनाया जा रहा हैं।
रामजन्मोत्सव पर गुरुवार को श्री राम जन्मभूमि में रामलला को छप्पन भोग लगेगा, फूलबंगला झांकी सजाई गई है। इस दौरान रामनगरी के कण-कण में तो उल्लास होगा ही रामजन्मभूमि परिसर में भी त्रेतायुग जीवंत हो रहा है।
आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं कि रामजन्मोत्सव का उल्लास त्रेतायुगीन हैं। चैत्र प्रतिपदा से नवमी तिथि तक गर्भगृह में कलश स्थापना कर अखंड दीप जलाकर देवताओं का आह्वान किया गया है। मुख्य पर्व पर आज रामनवमी के दिन रामलला को पंचामृत स्नान और इत्र का लेप लगाकर नवीन वस्त्र धारण कराया गया है। रामलला के जन्मोत्सव पर 56 भोग लगाया गया है। उन्हें नवीन वस्त्र धारण कराकर सोने का मुकुट भी पहनाया गया। दोपहर 12 बजते ही वैदिक मंत्रोच्चारण और सनातन धर्म की परंपराओं के अनुसार रामलला की विशेष आरती और पूजन होगा।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट रामजन्मोत्सव का दूरदर्शन पर लाइव प्रसारण कर रहा है। क्योंकि रामजन्मोत्सव के समय सभी भक्तों को रामजन्मभूमि में रोकना संभव नहीं है इसलिए लाइव प्रसारण के प्रयास किए गए हैं।
रामनगरी अयोध्या में श्रीराम जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा, रामनवमी के उत्सव में शामिल होने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु रामनगरी पहुंच चुके हैं। मठ मंदिरों में चारों ओर आस्था, श्रद्धा, भक्ति भाव से ढोल नगाड़ों के बीच भक्त झूम रहे हैं। गुरुवार को दोपहर 12 बजते ही रामलला मंदिर, कनक भवन समेत अयोध्या के आठ हजार से भी अधिक मंदिरों में उत्सव शुरू हो जाएगा। मंदिरों को आकर्षक फूलों से सजाया गया है।
रामलला पीले वस्त्र में दर्शन दे रहे हैं। परिसर के अस्थाई मंदिर में इस वर्ष अंतिम श्री राम जन्मोत्सव संपन्न हो रहा है। अगले वर्ष रामलला अपने दिव्य और भव्य मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित होंगे। रामलला का दर्शन करने के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने जन्मभूमि पथ मार्ग को खोल दिया है। ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि निर्माणाधीन राम जन्मभूमि संपर्क मार्ग से भी तीर्थ यात्रियों को जाने की सुविधा प्रदान की गई है।
राम नगरी के सभी मन्दिरो में श्रद्धालुओं का भगवान के जन्म का दर्शन पाने के लिये भारी भीड़ हैं। भगवान जन्म होते ही श्रद्धालुओं को जन्म का प्रसाद मन्दिरो में बांटा जाएगा।
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