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नई दिल्ली। मौसम विभाग (आईएमडी) ने मंगलवार को देश में दक्षिण पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) के सामान्य रहने के आसार जताए हैं। विभाग का कहना है कि पूरे देश में बारिश लंबी अवधि के औसत का 96 प्रतिशत रहेगी। जून से सितंबर तक चार महीनों के दौरान लगभग 83 प्रतिशत बारिश होगी। 1971-2020 की अवधि के लिए पूरे देश में वर्षा का दीर्घावधि औसत 87 सेंमी है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि प्रायद्वीपीय भारत के कई क्षेत्रों और इससे सटे पूर्वी मध्य भारत, पूर्वी भारत, पूर्वोत्तर भारत और उत्तर पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य वर्षा होने की संभावना है। उत्तर पश्चिम भारत के कुछ इलाकों और पश्चिम मध्य भारत के कुछ हिस्सों और पूर्वोत्तर भारत के कुछ इलाकों में सामान्य या सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है।
महापात्र का कहना है कि दुनियाभर में गर्मी का कारण बनने वाले एल नीनो का प्रभाव मानसून के दौरान विकसित हो सकता है और इसका प्रभाव मानसून के दूसरे भाग में देखा जा सकता है।
उनके अनुसार वर्तमान में भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में ला नीना की स्थिति तटस्थ स्थितियों में बदल गई है। जलवायु मॉडल पूर्वानुमान इंगित करते हैं कि अल नीनो की स्थिति मानसून के मौसम के दौरान विकसित होगी। वर्तमान में तटस्थ हिंद महासागर द्विध्रुव स्थितियां हिंद महासागर के ऊपर मौजूद हैं और नवीनतम जलवायु मॉडल पूर्वानुमान इंगित करते हैं कि सकारात्मक 100 स्थितियां दक्षिण- पश्चिम मानसून के मौसम के दौरान विकसित होने की संभावना है।
फरवरी और मार्च 2023 के दौरान उत्तरी गोलार्ध के बर्फ से ढके क्षेत्र सामान्य से कम पाए गए। उत्तरी गोलार्ध के साथ-साथ यूरेशिया में सर्दियों और वसंत के बर्फ के आवरण की सीमा के आने वाले दक्षिण पश्चिम मानसून ऋतु वर्षा के साथ सामान्यतः विपरीत संबंध की प्रवृत्ति है।
मौसम विभाग का कहना है कि वह मई के अंतिम सप्ताह में मानसून में होने वाली वर्षा के नवीनतम पूर्वानुमान जारी करेगा।
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