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नई दिल्ली। दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आबकारी घोटाला मामले में हाई कोर्ट से जमानत याचिका ख़ारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सिसोदिया ने सीबीआई और ईडी दोनों मामलों में सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने 3 जुलाई को मनीष सिसोदिया की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इससे पहले 28 अप्रैल को राऊज एवेन्यू कोर्ट मनी लांड्रिंग से जुड़े मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर चुका है। ईडी के मुताबिक मंत्री समूह के मुखिया होने के नाते सिसोदिया को कैबिनेट के बारे में सारी जानकारी थी। वे आबकारी नीति के बदलाव में मुख्य भूमिका में थे। ईडी के मुताबिक आबकारी नीति में फायदा पहुंचाने के बदले रिश्वत ली गई।
ईडी के मुताबिक कोई भी नीति हवा में नहीं बनाई जाती है। मंत्री समूह की बैठक में लाइसेंस फीस और प्रॉफिट मार्जिन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। याचिका में सिसोदिया की ओर से कहा गया है कि सिसोदिया के खिलाफ मनी लांड्रिंग का कोई मामला ही नहीं बनता है। ईडी का पूरा केस सीबीआई के केस पर ही आधारित है।
याचिका में कहा गया है कि मनी लांड्रिंग एक्ट की धारा 3 के तहत किसी भी तरह का अपराध सिसोदिया ने नहीं किया। कोर्ट को यह देखना होगा कि क्या धारा 3 के तहत कोई उल्लंघन किया गया है। ईडी ने इस मामले में मनीष सिसोदिया को 9 मार्च को पूछताछ के बाद तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। सिसोदिया को पहले सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था।
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