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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी निदेशक संजय मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने को अवैध करार दिया है। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने संजय मिश्रा को 31 जुलाई तक दफ्तर खाली करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने ईडी और सीबीआई निदेशक का कार्यकाल पांच साल तक बढ़ाने की शक्ति केंद्र को देने वाले कानूनों को सही ठहराया है लेकिन ईडी निदेशक संजय मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने पर कहा कि हमने 2021 में आदेश दिया था कि उनका कार्यकाल आगे न बढ़ाया जाए। इसलिए अब वह 31 जुलाई तक ही अपने पद पर रह सकते हैं।
कोर्ट ने 8 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था । सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा था कि याचिकाकर्ता राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं और उनके निहित स्वार्थ हैं, इसलिए उनकी याचिका खारिज की जानी चाहिए। इन नेताओं के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। इस पर जस्टिस गवई ने कहा था कि आप दलीलें मत दोहराएं। उन्होंने कहा था कि कोर्ट ने 2021 में ही कहा था कि असाधारण परिस्थितियों में ही कार्यकाल बढ़ाया जाना चाहिए। 2021 में कोर्ट ने कहा था कि 2021 के बाद संजय मिश्रा का कार्यकाल नहीं बढ़ाया जाए। कोर्ट ने कहा था कि ये राजनीतिक प्लेटफार्म नहीं है कि आप याचिकाकर्ताओं के राजनीतिक जुड़ाव की चर्चा कर रहे हैं।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि जांच एजेंसियों के प्रमुखों को एक-एक साल का सेवा विस्तार देकर उनको समझौते के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसा करना जांच एजेंसियों की स्वतंत्रता पर हमला है। वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा था कि इस तरह का सेवा विस्तार देने से जांच एजेंसियों के प्रमुखों की ओर से की जाने वाली जांच स्वतंत्र नहीं हो सकती है। ऐसे में सेवा विस्तार के लिए किए गए संशोधन को निरस्त किया जाना चाहिए।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने वकील गोपाल शंकरनारायण की दलीलों का समर्थन करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार ने संशोधन के जरिये प्रोबेशन की तरह की स्थिति तैयार की है। जांच एजेंसी के निदेशक को सरकार की इच्छा के मुताबिक काम करने को मजबूर किया जा रहा है और तभी उन्हें सेवा विस्तार दिया जा रहा है। इससे जांच एजेंसियों की स्वतंत्रता प्रभावित होती है।
सुनवाई के दौरान इस मामले में कोर्ट की मदद कर रहे एमिकस क्यूरी केवी विश्वनाथन ने सेवा विस्तार को गैरकानूनी बताते हुए कहा कि लोग आएंगे और जाएंगे लेकिन संस्थान जीवित रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि ईडी के प्रमुख का सेवा विस्तार बढ़ाने के लिए सेंट्रल विजिलेंस कमीशन एक्ट में 2021 में किया गया, जो पूरे तरीके से गैरकानूनी है। उन्होंने विनीत नारायण, प्रकाश सिंह द्वितीय, कॉमन कॉज प्रथम और कॉमन कॉज द्वितीय के फैसलों का उदाहरण दिया।
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला, जया ठाकुर, तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने याचिका दायर की थी। याचिकाओं में कहा गया था कि संजय मिश्रा को ईडी निदेशक के रूप में तीसरी बार कार्यकाल बढ़ाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया था कि 17 नवंबर, 2022 को मिश्रा को फिर से एक साल का सेवा विस्तार दे दिया गया है।
याचिका में कहा गया था कि संजय मिश्रा को और सेवा विस्तार न देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया गया है। याचिका में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अपनी जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कांग्रेस अध्यक्ष और पदाधिकारियों के खिलाफ कर रही है। राजनैतिक द्वेष की भावना से विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए जांच के नाम पर कांग्रेस नेताओं को परेशान किया जा रहा है। ये लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।
दरअसल, 8 सितंबर, 2021 को जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने ईडी निदेशक संजय मिश्रा को मिले नवंबर 2021 तक के सेवा विस्तार को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेवा विस्तार का सरकार को अधिकार है लेकिन यह बहुत जरूरी मामलों में ही होना चाहिए। कोर्ट ने कहा था सेवा विस्तार सीमित समय के लिए होना चाहिए । कोर्ट ने कहा था कि ईडी निदेशक को नवंबर 2021 के बाद आगे सेवा विस्तार न दिया जाए। उसके बाद केंद्र सरकार ने नवंबर 2021 में एक अध्यादेश के जरिए ईडी और सीबीआई के निदेशक का कार्यकाल पांच साल तक रहने की व्यवस्था बनाई है। इसी के तहत ईडी निदेशक संजय मिश्रा का कार्यकाल 18 नवम्बर, 2022 तक बढ़ा दिया गया था।
MadhyaBharat
11 July 2023
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