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कोलकाता। कांग्रेस की सर्वोच्च नेता सोनिया गांधी की ओर से सोमवार रात बेंगलुरू में दिए गए रात्रिभोज में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी भी शामिल होने जा रहे हैं। मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस की ओर से विपक्षी दलों को एकजुट करने के उद्देश्य से बुलाई गई इस बैठक में ममता बनर्जी के शामिल होने के बड़े सियासी मायने हैं। वह इसलिए कि पश्चिम बंगाल में हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। इसमें कांग्रेस और तृणमूल कार्यकर्ताओं के आपसी संघर्ष से लेकर कई कार्यकर्ताओं की हत्या तक हुई। इसके लिए दोनों दलों के नेताओं की ओर से एक-दूसरे पर लगाए जा रहे आरोपों और मुकदमेबाजी का सिलसिला अबतक चल रहा है। इस सबको दरकिनार कर ममता और सोनिया की यह मुलाकात राज्य की राजनीति में सुर्खियों में है।
सूत्रों के अनुसार पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बैठक में जाने से इनकार कर दिया था। उन्होंने हाल ही में हुए अपने घुटने के ऑपरेशन का जिक्र करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से कह दिया था कि उन्हें बहुत अधिक चलने फिरने की अनुमति नहीं है। इसके बाद कांग्रेस की ओर से उन्हें लगातार मनाने की कोशिश की गई और कहा गया कि आप रात्रिभोज में आइए। आपको कहीं चलना फिरना नहीं पड़ेगा। एक जगह बैठे रहिएगा। वहीं सारे लोग आएंगे। खड़गे ने ममता को फोन पर यह भी बताया था कि अगर इस बैठक में आप नहीं आएंगी तो विपक्षी एकता टूटने का संकेत जाएगा, जो भारतीय जनता पार्टी के लिए मददगार साबित हो सकता है। इसके बाद ही ममता इस बैठक में शामिल होने के लिए तैयार हुई हैं।
भारतीय जनता पार्टी की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने विपक्षी दलों की इस कोशिश के बारे में लिखा है कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ किसी भी तरह से मंच साझा करने पर नाराजगी जाहिर की है। वहीं बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष के साथ ही लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी के खूनी सत्ता का विरोध किया है। लेकिन दोनों ही राज्यों के कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व ने आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के गलबहिया डाल रहा है। कांग्रेस ने हमेशा से अपनी राज्य इकाइयों को दरकिनार कर फैसले लिए हैं इसी से वह रसातल की ओर जा रही है। इसके साथ ही अमित मालवीय ने ट्वीट कर पूछा है कि क्या राहुल गांधी में इतनी हिम्मत है कि बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान मारे गए अपने कार्यकर्ताओं के पक्ष में आवाज उठा सकें? हकीकत यह है कि वह ममता बनर्जी से डरे हुए हैं और अपना मुंह नहीं खोल सकते हैं। यहां तक कि मारे गए कांग्रेस कार्यकर्ताओं के परिवार के साथ भी संवेदना नहीं जता पा रहे हैं।
MadhyaBharat
17 July 2023
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