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वाराणसी। ज्ञानवापी- मां शृंगार गौरी के मूल वाद में सील किए गए वजूखाने को छोड़कर बैरिकेडिंग वाले भाग का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के जरिए रडार तकनीक से सर्वे कराने का रास्ता साफ हो गया है। वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने शुक्रवार को सभी पक्षों की मौजूदगी में ये आदेश दिया।
इससे पहले परिसर में मिले शिवलिंगनुमा आकृति के वैज्ञानिक सर्वे के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई तक रोक लगा चुका है। ऐसे में शिवलिंग वाले क्षेत्र यानी वजूखाने को छोड़कर बाकी क्षेत्र का सर्वे किया जाएगा। जिला अदालत ने एएसआई के निदेशक को सर्वे के लिए आदेशित किया है। अदालत ने कहा कि बिना कोई क्षति पहुंचाए वे वैज्ञानिक तरीके से सर्वे कराएं। कोर्ट ने एएसआई के निदेशक को चार अगस्त तक सर्वे के लिए टीम गठित करने का आदेश दिया है। इसके पहले 14 जुलाई को मामले की सुनवाई पूरी कर जिला जज ने फैसला आज तक के लिए सुरक्षित रख लिया था।
न्यायालय के फैसले को हिन्दू पक्ष बड़ा जीत मान रहा है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने पत्रकारों से कहा कि पूरे क्षेत्र का एएसआई सर्वे करना चाहिए। आज न्यायालय ने हमारे उस आवेदन पर सहमति दे दी है और अब सर्वे ही इस मामले की दिशा निर्धारित करेगा। उन्होंने बताया कि शिवलिंगनुमा आकृति का सर्वे नहीं होगा। उसका मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
गौरतलब है कि हिन्दू पक्ष की चार महिलाएं- लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने 16 मई को जिला जज की अदालत में अर्जी देकर अपील की थी कि सील वजूखाने को छोड़कर शेष सभी हिस्सों का वैज्ञानिक तरीके से सर्वे कराया जाए। न्यायालय में महिलाओं के अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने पूर्व में हुए कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट पेश की। उनका कहना था कि सर्वे में शिवलिंग जैसी आकृति मिली थी। अधिवक्ताओं की दलील है कि एएसआई सर्वे से यह स्पष्ट हो जाएगा कि ज्ञानवापी की वास्तविकता क्या है। सर्वे में बिना क्षति पहुचाएं पत्थरों, देव विग्रहों, दीवारों सहित अन्य निर्माण की उम्र का पता लग जाएगा। साथ ही पूरे सर्वे प्रक्रिया की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी हो। अधिवक्ताओं ने अपनी दलील में कई सुबूत एवं तथ्य भी रखे हैं।
इस मामले में प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की आपत्तियों को अदालत ने खारिज कर दिया है। मुस्लिम पक्ष ने सर्वे पर रोक लगाने की याचिका दाखिल की थी। प्रतिवादी पक्ष का तर्क था कि यहां पहले से मस्जिद थी। जिसे किसी धार्मिक स्थल के स्थान पर नहीं बनाया गया। इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में संभलकर चलने की जरूरत है। हाई कोर्ट के आदेश की बारीकी से जांच करनी होगी।
MadhyaBharat
21 July 2023
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