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शिमला। हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन में हो रही भारी बारिश से कई जिलों में जनजीवन अस्त-व्यस्त है। राज्य के विभिन्न भागों में भूस्खलन, बाढ़ और बादल फटने की घटनाएं हो रही हैं। शिमला के एक गांव में बादल फटने से काफी नुकसान हुआ है। पानी के तेज बहाव कई जानवर बह गए हैं और कई मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं।
शिमला जिला के रामपुर उपमण्डल के सरपारा पंचायत के कंधार गांव में मंगलवार की मध्यरात्रि बादल फटने के बाद आई बाढ़ ने तबाही मचा दी। बाढ़ से पांच मकान क्षतिग्रस्त हुए। इसके अलावा प्राइमरी स्कूल, महिला मंडल और युवक मंडल के भवन को भी नुकसान पहुंचा है। हालांकि इस घटना में जनहानि की सूचना नहीं है। लोग समय रहते अपने घरों से बाहर निकल गए थे। सैलाब में गांव वालों के कई पालतु पशु बह गए। वहीं, आधा दर्जन गाड़ियां क्षतिग्रस्त हुईं। कई घरों में सैलाब का पानी घुस गया।
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक करीब 20 भेड़ व बकरियां और सात गायें सैलाब में बह गईं। बाढ़ में सुरेन्द्र कुमार, विजय नंद, नरेन्द्र, मोहन और संगत राम के मकान तबाह हुए हैं। रामपुर के एसडीएम नीरज तोमर ने बताया कि नुकसान का आकलन किया जा रहा है। प्रभावितों को उचित राहत राशि मुहैया करवाई गई है। बेघर हुए लोगों के रहने का प्रबंध किया गया है। उन्होंने कहा कि घटना में कोई हताहत नहीं हुआ है।
इस बीच प्रदेश में आगामी दिनों में भारी बारिश होने की आशंका जताई गई है। मौसम विभाग ने अगले दो दिन भारी से बहुत भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इस दौरान लोगों व पर्यटकों को सावधान रहने की हिदायत दी गई है। लोगों से अपील की गई है कि खराब मौसम के मददेनजर अनावश्यक यात्राएं न करें।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पाल ने बताया कि 27 जुलाई को कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश का ऑरेंज और 28 जुलाई को येलो अलर्ट जारी किया गया है। इससे भूस्खलन, नदी-नालों के जलस्तर में बढ़ोतरी और अचानक बाढ़ आने की आशंका है।
राजधानी शिमला व आसपास के क्षेत्रों में मंगलवार रातभर जमकर बादल बरसे। प्रदेश में भूस्खलन से छह सौ से अधिक सड़कें बंद हैं। इसके अलावा कई जगह ट्रांसफार्मरों और पेयजल स्कीमों के खराब होने से बिजली व पेयजल आपूर्ति प्रभावित हुई है। राज्य में मानसून से 24 जून को दस्तक दिया था और अब तक मानसून सीजन में 606 घर पूरी तरह ध्वस्त हो चुके हैं। 5363 घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा, जबकि 236 दुकानों, 1648 गौशालाएं और 91 पुल धराशायी हुए हैं। मानसून सीजन में वर्षा जनित हादसों में अब तक 164 लोगों की जान गई है। इनमें 47 लोगों की मौत भूस्खलन व बाढ़ की चपेट में आने से हुई। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार मानसून सीजन में विभिन्न सरकारी विभागों को पांच हजार करोड़ से अधिक नुकसान हो चुका है।
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