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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तीन साल पूरे होने के उपलक्ष्य में शनिवार को ‘भारत मंडपम’ में अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि एनईपी का लक्ष्य भारत को अनुसंधान और नवाचार का केंद्र बनाना है।
प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान रिमोट का बटन दबाकर ‘पीएम श्री’ योजना के तहत राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, केन्द्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय समिति के चयनित 6207 स्कूलों को प्रथम चरण की प्रथम किश्त के रूप में 630 करोड़ रुपये से अधिक की केन्द्रीय राशि हस्तांतरित की। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने 12 भारतीय भाषाओं में अनुवादित शिक्षा और कौशल पाठ्यक्रम की पुस्तकों का भी विमोचन किया।
समागम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एनईपी का लक्ष्य भारत को अनुसंधान और नवाचार का केंद्र बनाना है। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा ही है जो देश की किस्मत बदलने की ताकत रखती है। आज 21वीं सदी का भारत जिन लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है, उनमें हमारी शिक्षा व्यवस्था का भी बहुत ज्यादा महत्व है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों और भविष्य की प्रौद्योगिकी को समान महत्व दिया है। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी में देश की प्रगति का नेतृत्व करते हुए भारत की परंपराओं को संरक्षित कर रही है।
शिक्षा के लिए विमर्श और संवाद को जरूरी बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे खुशी है कि अखिल भारतीय शिक्षा समागम के इस सत्र के जरिए हम विमर्श और विचार की अपनी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले ऐसा आयोजन काशी के नवनिर्मित रुद्राक्ष सभागृह में हुआ था। इस बार ये समागम दिल्ली के इस नवनिर्मित भारत मंडपम में हो रहा है और खुशी की बात यह है कि विधिवत रूप से भारत मंडपम के लोकार्पण के बाद ये पहला कार्यक्रम है। खुशी इसलिए और भी बढ़ जाती है कि पहला ही कार्यक्रम शिक्षा से जुड़ा है।
इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का विजन 2014 से देश में शिक्षा नीति को लेकर मार्गदर्शन और प्रेरणा दे रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एनईपी 21वीं सदी के भारत का महत्वपूर्ण तत्व है।
उल्लेखनीय है कि 30 जुलाई तक चलने वाले इस दो दिवसीय कार्यक्रम में 16 सत्र आयोजित होंगे। इसमें शिक्षाविद, क्षेत्र विशेषज्ञ, नीति निर्माता, उद्योग प्रतिनिधि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शासन तक पहुंच, न्यायसंगत और समावेशी शिक्षा, सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूह के मुद्दे, राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग फ्रेमवर्क, भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण सहित अन्य विषयों पर चर्चा करेंगे।
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