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पुणे। विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' के नेताओं के अनुरोध को ठुकराते हुए एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार मंगलवार को यहां लोकमान्य तिलक पुरस्कार समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। उनकी मौजूदगी में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ, जबकि 'इंडिया' के नेताओं का कहना था कि ऐसे समय में जब भाजपा के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाया जा रहा है तो इस कार्यक्रम में शामिल होना शरद पवार के लिए ठीक नहीं होगा।
इतना ही नहीं, शरद पवार ने 'इंडिया' के उन नेताओं और सांसदों से मिलने से भी परहेज किया जो उन्हें इस समारोह में शामिल होने से रोकना चाह रहे थे। लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पहुंचने से पहले विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने दगडूशेठ हलवाई गणेश मंदिर से आधा किलोमीटर दूर मंडई में प्रदर्शन किया। मोदी ने पुणे पहुंचने के बाद सर्वप्रथम इस मंदिर में पूजा-अर्चना की। उधर, कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरद पवार) और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने विरोध-प्रदर्शन किया।
'इंडिया' की तीसरी बैठक 25 अगस्त को महाराष्ट्र में प्रस्तावित है। आज के इस घटनाक्रम के बाद से इस बैठक को लेकर शरद पवार की भूमिका के बारे में तमाम प्रकार के कयास लगाए जाने लगे हैं। हालांकि एनसीपी और शिवसेना (यूबीटी) के नेता भलीभांति यह जानते हैं कि शरद पवार मोदी के साथ मंच साझा भले ही करें, लेकिन वे 'इंडिया' के ही साथ रहेंगे। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि भोपाल में मोदी के दिए गए भाषण के बाद अजित पवार एकाएक एनसीपी में टूट का कारण बने। कहीं उसी टूट से पार्टी को बचाने के लिए शरद पवार की यह कोई रणनीति तो नहीं है।
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