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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का उत्तर देते हुए विपक्ष पर कई मुद्दों पर हमला बोला। उन्होंने विपक्ष के बिना तैयारी अविश्वास प्रस्ताव लाने का माखौल उड़ाया और कहा कि 2028 में उन्हें फिर एक बार फिर अविश्वास प्रस्ताव लाने का अवसर मिलेगा जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। उन्होंने कहा कि फील्डिंग भले ही विपक्ष ने लगाई हो लेकिन चौके छक्के सत्ता पक्ष लगा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आरोप लगाया कि विपक्ष में अविश्वास और घमंड रचा बसा हुआ है और वह उस सच्चाई को नकार रहे हैं, जिसे आज दुनिया देख रही है। उन्होंने विपक्ष के विश्वास विस्तृत प्रस्ताव को ईश्वरी इच्छा बताते हुए शुभ संकेत माना और कहा कि इससे एनडीए एक बार फिर बड़ी जीत हासिल कर 2024 में दोबारा सरकार बनाएगा। पिछली बार विपक्ष 2018 में अविश्वास प्रस्ताव लाया था। उसे विपक्ष को तैयारी के लिए 5 साल दिए गए थे। लेकिन अफसोस है कि विपक्ष 9 वर्षों में योग्य विपक्ष की भी भूमिका नहीं निभा पाया है।
प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान विपक्ष ने मणिपुर के विषय पर बात रखने की मांग करते हुए शोर-शराबा किया और भाषण समाप्ति के पहले ही सदन छोड़कर बाहर गया।
रेवड़ी राजनीति पर करारा प्रहार करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अनाप-शनाप वादों से जनता पर बोझ डाल विकास की परियोजनाएं बंद की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि उनकी आर्थिक नीतियां भारत को दिवालिया बनाने की गारंटी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह विपक्ष अर्थव्यवस्था को डुबोने, 2 डिजिट की महंगाई, पॉलिसी पैरालाइसिस, भ्रष्टाचार, तुष्टीकरण परिवारवाद, बेरोजगारी, आतंकवाद, हिंसा और देश को दो शताब्दी पीछे ले जाने की गारंटी दे रहा है।
उन्होंने कहा कि आज का भारत ना दबाव में आता है और ना दबाव डालता है। 2047 तक भारत एक विकसित राष्ट्र होगा। हमें इस कालखंड का उपयोग राजनीति के लिए नहीं करना चाहिए। हमें दर्द को समझ कर दर्द की दवा बनने का काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर हमारे दिल का टुकड़ा है। उससे राजनीति जितनी दूर रहेगी वहां उतनी शांति आएगी। आसियान और अन्य पूर्वी देशों के विकास से आने वाले समय में एक दिन पूर्वोत्तर क्षेत्र का एक केंद्रीय बिंदु बनेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष को गरीब नहीं बल्कि सत्ता की भूख है और उन्हें युवाओं के नहीं बल्कि अपने भविष्य की चिंता है। सदन में कई महत्वपूर्ण विधेयक लाए गए विपक्ष ने उन पर चर्चा नहीं की लेकिन एक कट्टर भ्रष्ट साथी (केजरीवाल) की शर्त के आगे मजबूर होकर एकजुट होकर सदन को चलाया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने देश की साख सुधारने का काम किया है। विश्व का आज भारत पर विश्वास बढ़ता जा रहा है। अति गरीबी देश से खत्म हो रही है। विश्व संस्थाएं कह रही है कि जल जीवन मिशन से 4 लाख और स्वच्छ भारत मिशन से 3 लाख लोगों की जान बची है लेकिन विपक्ष को यह दिखाई नहीं देता।
उन्होंने कहा कि विपक्ष को एक वरदान मिला हुआ है कि जिसका वह बुरा चाहते हैं उसका भला हो जाता है। बैंकिंग पर उन्होंने नकारात्मक बातें कहीं आज सार्वजनिक बैंकों का प्रॉफिट दोगुना हो गया है। सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा उत्पादन कंपनी एचएएल के कर्मचारियों को भड़काने की कोशिश की लेकिन आज उसका रेवेन्यू कई गुना ज्यादा हो गया है। यही हाल एलआईसी का भी है।
कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उसका चुनाव चिन्ह और नाम दोनों अन्य से लिये हुए है। इसके साथ उसके नेतृत्व में बना रहे विपक्षी गठबंधन पर हमला करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लेबल बदल सकते हैं लेकिन पुराने पापों को जनता से नहीं छुपा सकते।
राहुल गांधी के लंका हनुमान ने नहीं जलाई वाले बयान को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि जनता राम है और उन्होंने कांग्रेस को 400 से 40 पर ला दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस परिवार आधुनिक राजाओं की तरह है और उन्हें देश के गरीब का बेटा सत्ता में बैठे देख परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस वाले नामदार और हम कामदार लोग हैं। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति (राहुल गांधी) की बार-बार लांचिंग फेल हो जाती है इसलिए वह जनता से नफरत करते हैं। वह जिन्होंने कभी गमले में मूली नहीं उगाई वे खेतों को देखकर हैरान होते हैं। जो गरीबी को गाड़ी के शीशा नीचे करके देखते हैं उन्हें पता होना चाहिए कि भारत पर 50 साल उन्होंने राज किया है।
प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी के मां भारती वाले बयान पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि इससे हर भारतीय की भावना को ठेस पहुंची है। भारत मां की मृत्यु की कामना कोई कैसे कर सकता। उनके शासन काल में देश को तीन हिस्सों में बांट दिया गया। वंदे भारत गीत जिसने देश को जोड़ा उसके टुकड़े कर दिए गए। 05 मार्च 1966 में मिजोरम में आम नागरिकों पर बम गिराए गए। अकाल तख्त पर हमला किया गया। उन्होंने पूछा कि किसकी सरकार में कच्चतीवु द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया गया। उनके सहयोगी द्रमुक आज भी उसे वापस लेने की मांग करते हैं।
मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर विपक्ष चाहता तो इस पर विस्तार से चर्चा हो सकती थी। लेकिन विपक्ष का इस पर चर्चा करने का साहस और इरादा दोनों नहीं थे। हाईकोर्ट का फैसला आया। इस पर पक्ष-विपक्ष के कारण परिस्थितियां वहां पैदा हुई हैं। हिंसा का एक दौर चला। बहुत से परिवारों को मुश्किलें झेलना पड़ रही हैं लेकिन उन्हें आशा है कि निकट भविष्य में शांति का सूरज उगेगा वह देश के साथ मणिपुर में शांति की अपील करते हैं। हम सब मिलकर समाधान निकालेंगे और मणिपुर विकास की राह में फिर आगे बढ़ेगा और सरकार की ओर से इसमें कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
MadhyaBharat
11 August 2023
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