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वाशिंगटन/नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज कहा कि कनाडा हिंसा का समर्थन करने वाले आतंकियों और चरमपंथियों के प्रति स्वीकार्य रूख बनाए रखे हुए हैं और उन्हें अपने यहां से काम करने दे रहा है। इसमें उसकी स्थानीय राजनीति की बड़ी भूमिका रही है।
अमेरिकी यात्रा पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज हडसन इंस्टीट्यूट में नई प्रशांत व्यवस्था में भारत की भूमिका पर विषय रखा। इस दौरान एक प्रश्न के उत्तर में विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और कनाडा के बीच काफी सालों से एक गतिरोध का बिन्दु बना हुआ है। हाल के दिनों में इसमें इजाफा हुआ है।
विदेश मंत्री ने कहा कि कनाडा ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जुड़े आरोप पहले निजी और फिर सार्वजनिक तौर पर लगाए हैं। दोनों ही तरह से भारत ने उत्तर दिया है कि भारत की कभी इस तरह की नीति नहीं रही है। उन्होंने आगे कहा कि कनाडा के पास अगर इस संबंध में कोई विश्वसनीय जानकारी है तो वे भारत के साथ इसे साझा करें। भारत खुले मन से इस पर विचार करेगा।
विदेश मंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुवेलिनयन और विदेश मंत्री एंटोनियो ब्लिंकन के साथ भी कनाडा संबंधी विषयों पर चर्चा होने की बात को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि बातचीत बेहतर और प्रगतिशील रही है।
विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में बदलाव की मांग को भी एक बार फिर दोहराया। उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश नहीं है। यहां तक की इसमें 50 देशों वाला एक महाद्वीप नहीं है।
इस दौरान विदेश मंत्री ने भारत और रूस के रिश्तों पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि दुनिया की बड़ी शक्तियों के बीच संबंध इतने सालों में काफी उतार-चढ़ाव से गुजरे हैं। केवल भारत और रूस के ही रिश्ते हैं जिनमें स्थायित्व बना हुआ है। हाल में रूस के यूरोप और अमेरिका से रिश्ते काफी बिगड़े हैं और वे जाहिर तौर पर एशिया की ओर देख रहा है। विदेश मंत्री ने वैश्विकरण को दोबारा तैयार करने का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि वैश्विकरण के लाभ हैं लेकिन इसके कई नुकसान भी हैं। इन पर विचार कर वैश्विकरण के ढांचे में पुनर्निमाण होना चाहिए।
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