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नई दिल्ली। लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सांसद मनोज झा की संसद में ठाकुर वाली कविता पर अभी शोर थमा भी नहीं है कि उसके दूसरे नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के महिला आरक्षण कानून पर एक बहुत ही निम्नस्तरीय और विवादित बयान दे दिया है। अब्दुल बारी सिद्दीकी का कहना है कि इस महिला आरक्षण से संसद में केवल लिपिस्टिक और बॉब कट बाल वाली महिलाएं ही चुनकर आएंगी और आपका हक मारा लेंगी। उनके इस बयान पर चौतरफा तीखी प्रतिक्रिया हो रही है।
भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने सिद्दीकी के बयान पर एक टीवी चैनल को प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यही है राजद का असली चेहरा और यही मानसिकता है। यह लालू प्रसाद यादव की पार्टी की मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि ये लोग कल्पना चावला से लेकर भारत के वर्तमान राष्ट्रपति को भूल गए हैं। इनकी गंदी राजनीति से इन महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंची है। भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि राजद में ओबीसी या पार्टी कार्यकर्ता के लिए कोई जगह नहीं है। राजद परिवार के लिए आरक्षित है। यह दोहरा मापदंड चौंकाने वाला है।
भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल ने कहा कि यह अब्दुल बारी सिद्दीकी की संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है। इन्होंने कहा कि महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं। लेकिन वे चाहते हैं कि महिलाएं केवल घरेलू काम करें और बाहरी दुनिया में योगदान न दें। ऐसे बयान देना उनकी असभ्यता को दर्शाता है। केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने कहा कि चुनाव जीतकर संसद में आने वाली महिलाएं न केवल महिलाओं के अधिकारों को बल्कि जनता का और हर आम आदमी के अधिकारों को भी आगे रख रही हैं। गाड़ी के दो पहियों की तरह, संसद और विधानसभा में महिलाएं और पुरुष मिलकर जनहित के लिए कानून बनाएंगे।
भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने कहा कि यह सिर्फ राजद का बयान और विचार प्रक्रिया नहीं है। यह आज पूरे इंडी गठबंधन की विचार प्रक्रिया है। जब हम संवैधानिक गारंटी के तहत पारित कर रहे हैं। इंडी गठबंधन द्वारा अपमानित और अपमानित किया जा रहा है। इन्होंने कहा कि इंडी गठबंधन या कांग्रेस पार्टी के किसी भी नेता ने इस बयान की निंदा नहीं की है, यानी वे इससे सहमत हैं। संसद में हमने पहले भी सपा और राजद को महिला आरक्षण बिल की प्रतियां फाड़ते देखा है। कांग्रेस पार्टी हमेशा ऐसी पार्टियों के साथ खड़ी रही है क्योंकि ये महिला विरोधी हैं। झामुमो सांसद महुआ माजी ने भी अब्दुल बारी सिद्दीकी को नसीहत दे डाली। उन्होंने कहा कि हम आज 21वीं सदी में हैं। इस तरह से किसी को ऐसे बयान देने से बचना चाहिए, जिससे महिलाओं को ठेस पहुंचे।
चौतरफा आलोचना का शिकार होने के बाद अब्दुल बारी सिद्दीकी ने सफाई देते हुए कहा है कि "उस रैली में सैकड़ों ग्रामीण महिलाएं थीं... मैंने उस भाषा का इस्तेमाल ग्रामीण महिलाओं को उनकी भाषा में समझाने के लिए किया था। मेरा इरादा किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था। अगर मेरे कथन से किसी को ठेस पहुंची है तो मैं खेद व्यक्त करता हूं। यह अति पिछड़ा वर्ग की सभा थी और मैं उन्हें पढ़ा रहा था। आरजेडी शुरू से ही महिला आरक्षण के समर्थन में रही है।
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