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कोलकाता। लोकसभा चुनाव से पहले भले ही केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को हटाने के लिए विपक्षी गठबंधन ने जोर आजमाइश शुरू की है, लेकिन इसकी राह आसान नहीं है। गठबंधन में शामिल माकपा, कांग्रेस और तृणमूल बंगाल में एक-दूसरे के साथ सिर फुटव्वल कर रहे हैं। शुक्रवार को माकपा ने पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के दौरान हर हाल में तृणमूल को हराने की कसम खाई है और इसके लिए लोगों को साथ देने का आह्वान भी किया है।
सीपीआई (एम) ने कहा कि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को उखाड़ फेंके बिना भाजपा को रोकना असंभव है। पार्टी ने कहा कि विपक्ष के अन्य घटक आईएनडीआईए गठबंधन को इस जमीनी हकीकत को समझना चाहिए।
बंगाल में पार्टी के मुखपत्र के वार्षिक उत्सव संस्करण में लिखे गए एक लेख में, सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो सदस्य और पश्चिम बंगाल में पार्टी के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा कि चूंकि तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा को यहां अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी को हराने के लिए यह तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश में भाजपा विरोधी ताकतों को पश्चिम बंगाल की जमीनी हकीकतों से अवगत कराने की जरूरत है, जहां स्थापना के बाद से ही तृणमूल कांग्रेस भाजपा की संभावित सहयोगी रही है और अब वे सिर्फ बिछड़े हुए सहयोगी हैं, हालांकि इस बात की पूरी संभावना है कि दोनों एक-दूसरे के मददगार हैं।
मोहम्मद सलीम ने अपने लेख में यह भी स्पष्ट किया है कि पश्चिम बंगाल के परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए भाजपा विरोधी सहयोगियों के बीच राष्ट्रीय स्तर पर सीट बंटवारे के समझौते का कोई सवाल ही नहीं है। सलीम ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों की अपनी राजनीतिक मजबूरियां हो सकती हैं। लेकिन, राष्ट्रीय स्तर पर एक निश्चित सीट-बंटवारा न तो संभव है और न ही यथार्थवादी है। आवश्यकता संबंधित राज्य की जमीनी हकीकत को ध्यान में रखते हुए राज्य-विशिष्ट रणनीतियों को अपनाने की है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि सलीम का लेख जमीनी स्तर के सीपीआई (एम) कार्यकर्ताओं और कट्टर पार्टी के वफादारों की सामान्य भावना और सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी पर उनकी बढ़ती शिकायतों का प्रतिबिंब है। साथ ही सलीम के इस लेख को पार्टी के पोलित ब्यूरो के उस फैसले का विस्तार भी कहा जा सकता है, जिसमें उन्होंने गठबंधन की समन्वय समिति में कोई प्रतिनिधि नहीं भेजने का फैसला किया था, जहां अभिषेक बनर्जी सदस्य हैं।
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने दावा किया कि यह लेख इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि वास्तव में पश्चिम बंगाल में भाजपा को कौन फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि सीपीआई (एम) का एकमात्र उद्देश्य राज्य में भाजपा विरोधी वोटों को विभाजित करके भगवा खेमे को फायदा पहुंचाना है। यही कारण है कि वे राज्य में राजनीतिक अस्तित्व खो चुके हैं।
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