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जयपुर। महानगर मजिस्ट्रेट क्रम 11 ने भारतीय जनता पार्टी के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर राहुल गांधी को रावण की संज्ञा देने के मामले में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं आईटी सेल के नेशनल हेड अमित मालवीय के खिलाफ पेश मानहानि परिवाद को खारिज कर दिया है।
अदालत ने जसवंत गुर्जर के परिवाद को खारिज करते हुए कहा कि कोर्ट उस व्यक्ति के परिवाद पर ही प्रसंज्ञान ले सकता है जो व्यथित हो। परिवाद देखने से स्पष्ट है कि वह राहुल गांधी पर निजी तौर पर की गई टिप्पणी है और यह स्थापित सिद्धांत है कि जिसकी प्रतिष्ठा की हानि हुई है, वह व्यक्ति सीआरपीसी की धारा 199 के तहत परिवाद दायर कर सकता है। इस मामले की परिस्थितियां ऐसी नहीं है कि जिन राहुल गांधी पर मानहानि की टिप्पणी की गई है वह परिवाद पेश करने में असमर्थ हो। ऐसे में परिवादी खुद व्यथित की श्रेणी में नहीं आता है और वह धारा 500 के तहत परिवाद पेश करने के लिए सक्षम नहीं है। अदालत ने कहा कि परिवाद में आईपीसी की धारा 504 के तहत आरोप लगाए गए हैं जबकि परिवाद में ऐसा कोई तथ्य का उल्लेख नहीं किया गया है कि इस कृत्य से राहुल गांधी लोक शांति भंग करे या अन्य अपराध कारित करने के लिए प्रकोपित हों। ऐसे में कोर्ट इस परिवाद पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा और इसे दाखिल दफ्तर किया जाए।
परिवाद में जेपी नड्डा एवं अमित मालवीय पर आरोप लगाते हुए कहा गया था कि सनातन धर्म का अपमान करते हुए भाजपा के ट्विटर हैंडल पर पोस्ट की गई है जिसमें राहुल गांधी की सात सिर वाली फोटो के साथ ही नए युग का रावण बताया गया है। इससे ना केवल कांग्रेस पार्टी का अपमान हुआ है बल्कि परिवादी की भी मानहानि हुई है, इसलिए परिवाद पर आरोपितों के खिलाफ प्रसंज्ञान लिया जाए।
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