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उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 12 नवंबर से फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकाले जाने का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। राहत और बचाव कार्य में हर बार ऑगर मशीन पहाड़ के आगे घुटने टेक रही है। अभियान का 15वां दिन है। अब वर्टिकल ड्रिलिंग की तैयारी करने की बात कही जा रही है। इस बीच मौसम विज्ञान विभाग ने उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग में अगले 36 घंटे में बर्फबारी की चेतावनी दी है।
इस बीच श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए बनाई गई 32 इंच की पाइपों द्वारा लगभग 48 मीटर की सुरंग में सरियों में फंसे ऑगर मशीन के ब्लेड को काटने का काम जारी है। इस काम में हैदराबाद से प्लाज्मा कटर आज दिन तक पहुंचने के बाद रेस्क्यू में तेजी आने की उम्मीद है। सुरंग के ऊपर मशीन का एक अन्य महत्वपूर्ण पार्ट जिससे ड्रिलिंग होती है, वह पहुंचाया जा रहा है। टीम का कहना है कि काम जारी है जल्द ही दूसरा पार्ट भी पहुंचा दिया जाएगा।
कुछ अधिकारियों ने कहा कि वर्टिकल ड्रिलिंग सोमवार से शुरू हो सकती है। मगर सुरंग के प्रवेश द्वार पर रिस रहे पानी ने सबकी चिंता बढ़ा दीं। शनिवार को पानी टपका था। अधिकारी इसे सामान्य घटना मान रहे हैं।इसमें निर्माणाधीन सुरंग के ऊपरी क्षेत्र में 82 मीटर दूरी पर खोदाई होगी। इसके लिए मशीन का प्लेटफॉर्म तैयार कर लिया गया है। मशीन के एक हिस्से को भी वहां पहुंचा दिया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि बचाव अभियान कठिन परिस्थितियों में चल रहा है। पाइप के भीतर 45 मीटर ब्लेड फंस गए थे। इनका 20 मीटर हिस्सा काटकर निकाला जा चुका है। बाकी 25 मीटर को काटने के लिए हैदराबाद से प्लाज्मा कटर मंगाया गया है। कटर के आज पहुंचने का अनुमान है। प्लाज्मा कटर से फंसे हिस्से को काटकर निकाला जाएगा। इसके बाद मजदूर हाथों से खोदाई कर मलबा निकालेंगे।
जैसे-जैसे घड़ी की सूई घूम रही हो वैसे-वैसे कैलेंडर में तारीख भी बदल रही है। इस सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के सब्र का बांध भी जवाब देने लगा है। रेस्क्यू टीम श्रमिकों को फिट और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए हर पहलू पर ध्यान दे रही है। एक ओर जहां खाने पीने का इंतजाम किया गया है, वहीं, स्मार्टफोन भेज कर उन्हें मनोरंजन के लिए प्रेरित किया गया है। इतना ही नहीं रेस्क्यू टीम ने ऑगर ड्रिलिंग मशीन के जवाब देने के बाद 6 इंच की पाइप के अंदर बीएसएनएल की लाइन डालकर उन्हें फोन की अच्छी सुविधा से जोड़ दिया। ताकि श्रमिक अपने परिजनों से बात कर सके।
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