Since: 23-09-2009
नई दिल्ली। केरल के राज्यपाल के पास कई विधेयक लंबित होने के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान आज सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि कुछ विधेयक पर फैसला ले लिया गया है। कुछ अभी लंबित हैं। तब चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री साथ बैठ कर हल निकालें। अगर स्थिति नहीं सुधरती तो भविष्य में सुप्रीम कोर्ट दिशा-निर्देश बनाने पर विचार करेगा।
24 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केरल के राज्यपाल से कहा था कि पंजाब के राज्यपाल के मामले में हमने जो फैसला दिया है उसे पढ़ लीजिए। पंजाब के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल विधेयकों पर लंबे समय तक बिना कोई निर्णय किए बैठे नहीं रह सकते। राज्यपालों को विधायिका के काम पर वीटो की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने केरल सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए 20 नवंबर को केंद्र सरकार और केरल के राज्यपाल के कार्यालय को नोटिस जारी किया था।
केरल सरकार ने राज्यपाल के खिलाफ दो याचिकाएं दायर की हैं। पहली याचिका में सुप्रीम कोर्ट में केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें एक वकील की ओर से राज्यपाल द्वारा विधेयकों को मंजूरी देने में जानबूझकर देरी करने के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी गई थी। ये याचिका केरल हाई कोर्ट के एर्नाकुलम बेंच के 30 नवंबर 2022 के आदेश के खिलाफ दायर की गई है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई दूसरी याचिका में केरल सरकार ने राज्यपाल को बिना किसी देरी के लंबित बिलों का निपटान करने का निर्देश दिए जाने की मांग करते हुए कहा है कि राज्यपाल उनके समक्ष प्रस्तुत विधेयक को उचित समय के भीतर निपटाने के लिए बाध्य हैं। केरल सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर विचार करने में देरी कर रहे हैं। आठ से अधिक पब्लिक वेल्फेयर से जुड़े बिल पर विचार करने में अनुचित देरी करके राज्यपाल अपने संवैधानिक कर्तव्यों में विफल रहे हैं।
MadhyaBharat
|
All Rights Reserved ©2025 MadhyaBharat News.
Created By:
Medha Innovation & Development |